अपराध और नरसंहार के मामलों से निपटने के लिए हो अलग से कानून

0

सिख विरोधी दंगे के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए हाई कोर्ट  (High Court)ने ऐसे मामलों के लिए देश के आपराधिक कानून में बदलाव की जरूरत बताई है। सोमवार को हाई कोर्ट ने कहा कि मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार जैसे इन मामलों से निपटने के लिए अलग से कानून की जरूरत है।

अदालत ने कहा कि कानून में लूपहोल के चलते ऐसे नरसंहार के अपराधी केस चलने और सजा मिलने से बच निकलते हैं। जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल की बेंच ने कांग्रेस लीडर सज्जन कुमार को दोषी करार देते हुए कहा कि ऐसे मामलों के लिए अलग से कोई कानूनी एजेंसी न होने का ही अपराधियों को फायदा मिला और वे दशकों तक बचे रहे।

Also Read : कमलनाथ के शपथग्रहण समारोह में दिग्विजय ने किया कुछ ऐसा कि…

कुमार को हत्या और साजिश रचने का दोषी करार देते हुए बेंच ने कहा, ‘ऐसे मामलों को मास क्राइम के बड़े परिप्रेक्ष्य में देखना बेंच ने कहा कि सिख दंगों में दिल्ली में 2,733 लोगों और पूरे देश में 3,350 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।

मास क्राइम का न तो यह मामला था और न ही यह आखिरी था। कोर्ट ने अपनी बात के पक्ष में मुंबई में 1993 के दंगों, 2002 के गुजरात दंगों, ओडिशा के कंधमाल में 2008 को हुई हिंसा और मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगे का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि ये कुछ उदाहरण हैं, जहां अल्पसंख्यकों को टारगेट किया गया।

यही नहीं ऐसे मामलों को अंजाम देने में सक्रिय रहे राजनीतिक तत्वों को कानून लागू कराने वाली एजेंसियों की ओर से संरक्षण देने का काम किया गया। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए देश के लीगल सिस्टम को मजबूत किए जाने की जरूरत है ताकि मानवता के खिलाफ अपराध के मामलों में बिना समय गंवाए केस बढ़ाया जा सके। अदालत ने कहा कि नरसंहार के ऐसे मामलों ने पूरी मानवता को झकझोरने का काम किया।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More