पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से मोदी सरकार का इंकार
सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में तत्काल किसी प्रकार की कटौती की संभावना से सोमवार को इनकार किया। वैश्विक बाजारों में तेल के दाम बढ़ने से जहां डीजल उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, वहीं पेट्रोल चार साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
मोदी सरकार ने लगातार की उत्पाद शुल्क में वृद्धि
मोदी सरकार ने वैश्विक बाजार में कीमतों में नरमी के दौरान राजस्व बढ़ाने के इरादे से नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच उत्पाद शुल्क में नौ बार वृद्धि की। हालांकि पिछले साल अक्टूबर में इसमें दो रुपये प्रति लीटर की कटौती भी की गई।
क्या उत्पाद शुल्क में होगी कटौती?
यह पूछे जाने पर कि क्या दूसरी बार उत्पाद शुल्क में कटौती की जा सकती है, वित्त सचिव हसमुख अढ़िया ने कहा, ‘फिलहाल नहीं। जब भी हम इसकी समीक्षा करेंगे, आपको इसकी जानकारी दी जाएगी।’ इससे पहले पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि सरकार पेट्रोल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर नजर रख रही है, लेकिन मुक्त बाजार कीमत निर्धारण व्यवस्था से पीछे नहीं हटा जाएगा। प्रधान ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जितनी जल्दी जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा, उपभोक्ताओं को लाभ होगा।
क्यों बढ़े पेट्रोल, डीजल के दाम?
अंतरराष्ट्रीय तेल बाजारों में दाम बढ़ने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत सोमवार को चार साल के उच्च स्तर यानी 73.83 रुपये लीटर, जबकि डीजल की दर अबतक के उच्चतम स्तर यानी 64.69 रुपये पर पहुंच गई। राष्ट्रीय राजधानी में यूरो-6 मानक वाले पेट्रोल और डीजल की बिक्री की शुरुआत को लेकर आयोजित कार्यक्रम में प्रधान ने कहा, ‘भारत को सभी को तेल उपलब्ध कराने के लिए बाजार आधारित कीमत व्यवस्था की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि ईंधन कीमत निर्धारण पारदर्शी प्रणाली पर आधारित है और भाव में तेजी का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम का चढ़ना है।
उन्होंने आगे कहा, ‘जब तेल के दाम चढ़ते हैं, तो निश्चित रूप से उपभोक्ताओं को तकलीफ होती है।’ हालांकि मंत्री ने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदम के लिए सरकार के हस्तक्षेप का कोई संकेत नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘केंद्र और राज्य विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर राजस्व पर निर्भर हैं। पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को जाता है और शेष 60 प्रतिशत का उपयोग राज्यों में विकास योजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी के वित्त पोषण के लिए किया जाता है।’
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मोदी ने आम आदमी का भरोसा तोड़ा: कांग्रेस
कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल की ताजा मूल्य वृद्धि का कड़ा विरोध करते हुए सोमवार को केंद्र सरकार पर आम आदमी की कीमत पर सरकारी खजाना भरने का आरोप लगाया। पार्टी ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की मांग भी दोहराई। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर पेट्रोल-डीजल की ताजा मूल्य वृद्धि का कड़ा विरोध किया।
‘डीजल 65, पेट्रोल 75 पार’
कहां गई मोदीजी की वह हुंकार कि अबकी बार महंगाई पर मार।’ उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद मोदी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है और वह कोई जवाब नहीं दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी के चुनाव पूर्व के नारे आम आदमी के लिए ‘क्रूर मजाक’ बन गए हैं। सुरजेवाला ने दावा किया कि मई 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से पेट्रोल में उत्पाद शुल्क में 214 प्रतिशत, डीजल में उत्पाद शुल्क में 443.06 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई, जबकि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में 12 गुना की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘आम आदमी ने नरेंद्र मोदी सरकार में जो विश्वास दिखाया था, उसके साथ विश्वासघात किया गया है। वह ईंधन की कीमतों पर लगाम कसने में बुरी तरह विफल रही है और आम नागरिकों की कीमत पर सरकारी खजाना भरने में व्यस्त है।’