बुराड़ी डेथ मिस्ट्री : रजिस्टर में दर्ज है ‘मोक्ष’ की पूरी कहानी

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बुराड़ी (Burandi ) में रहस्यमय 11 सामूहिक मौतों को लेकर अब तक ‘कही- अनकही’ जैसी तमाम बातें सामने आ चुकी हैं। मिले सबूत और मेडिकल सांइस के नजरिए से पुलिस इसे सामूहिक आत्महत्या मान रही है। वहीं, परिवार इसे साजिशन सामूहिक हत्याकांड बता रहा है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि हकीकत क्या है।

उन उभरते सवालों के जवाब खोजते हुए एक समाचार पत्र ‘रहस्यमय रजिस्टर’ तक जा पहुंचा जिसके बारे में दावा है कि सामूहिक मौत का राज इन पन्नों में छिपा है। क्राइम ब्रांच सूत्रों की मानें तो घर में मिले ऐसे डायरी व रजिस्टर एक नहीं बल्कि कई हैं।

मृत आत्मा की रूह का हर दिन अहसास करता था

27 मई 2013 से लिखा जा रहा रजिस्टर करीब 200 पेज से भरा पड़ा है। लिखावट और लहजे से समझा जा सकता है कि आखिर परिवार या उसका कोई एक सदस्य किस तरह मृत आत्मा की रूह का हर दिन अहसास करता था।

उसी रूहानी ताकत के इशारे पर हर दिन ललित रजिस्टर में ऐसी रहस्यमय बातें लाइव लिखता था जिसे घरवाले मृत आत्मा का फरमान समझकर पालन करते थे। इन पन्नों को गौर से देखा-समझा जा सकता है कि आखिर ‘रूहानी तिलिस्म’ के जाल में परिवार के 11 लोग कैसे गहरे तक खिंचे चले गए।
गए।

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क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, ललित के पिता भोपाल दास भाटिया की कई साल पहले मौत हो गई थी। वह भारतीय सेना में जवान रहे लेकिन घोड़े से गिर जाने से उनके पैर की हड्डी टूट गई थी, जिसके चलते उन्होंने रिटायर होने से पहले वीआरएस ले लिया था। भोपाल दास का सबसे लाडला था ललित। 2007 में पिता की मौत हो गई। इसके बाद घर में कुछ अशांति पैदा हुई।

मंगलवार को क्राइम ब्रांच को मिले एक और रजिस्टर से पता चला कि ललित अपने पिता की आत्मा से तभी से संपर्क में था। इसका दावा रजिस्टर के पन्नों में दर्ज है। इस बीच दुकान पर ललित का झगड़ा हुआ था। हमलावरों ने उसे दुकान के अंदर बंद करके बाहर से आग लगा दी थी। ललित की जान तो बच गई लेकिन दहशत में उसकी आवाज चली गई थी। इस घटना से ललित व परिवार पूरी तरह टूट गया। कई साल तक ललित की आवाज नहीं लौटी।

रहस्यमय रजिस्टर में छिपा राज’

रजिस्टर का पहला पेज..

तारीख लिखी है 27 मई 2013, स्थान भी दिल्ली लिखा है।
ध्यान रखो, अपनी गलती सुनकर मन छोटा नहीं करो। आर्थिक व मानसिक परेशानी का सामना तो एकजुट होकर ही किया जा सकता है’
21-10-2013 की तारीख के पेज पर बेहद चौंकाता है
‘5 वर्ष जो मिले उसका प्रथम वर्ष का आह्वान’
वर्ष का प्रथम व अंतिम सामूहिक आह्वान… ‘आज मेरे जाने के बाद साधारण रोशनी में परिक्रमा करना’। इसके बाद प्रथम से लेकर पांचवी तक हर एक को 25 मिनट परिक्रमा। ‘आज का समय विशेष रावत भाटा व पानीपत के लिए। मेरे जाने के बाद सब सो जाना, चर्चा न करना, सावधानी का ध्यान रखना’।

‘मैंने गलती अगर ना बताई तो यह नहीं कि गलती करते रहो। ..ये छोटी गलती ही आगे समय में विस्फोट का कारण बनेगी। .. कलयुग मदिरा रूप में घर में प्रवेश कर रहा है। ये भी आने वाले समय में तुम्हारी परीक्षा लेगा। दीपावली के बाद 4 रवि दोनों को कुछ-कुछ मदिरा लेकर सेवन करना व उसके बाद अपने कमरे में सो जाना, उस समय कमरे में किसी को भी प्रवेश निषेध है’।

200 पेज वाले रजिस्टर के आखिरी पेज पर सजा …

अनुष्ठान, टाइम टेबल है जिसमें रविवार के दिन को कलयुग बताया गया है। ‘..(रविवार को सजा).. नवंबर माह 2014 से शुरू। दिसंबर माह से बुधवार पूरा। वर्ष (सजा) बाधा आने पर अगले वर्ष में गिनती या अगले वर्ष में पूर्ण करना है’।साभार

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