गांधी परिवार के दुर्ग में क्षत्रपों का इम्तिहान, रायबरेली में कौन किसके साथ?…

रायबरेली पर केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर

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रायबरेली की सियासत में भले ही गाँधी परिवार की तूती बोलती हो लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में ऐसे कई क्षत्रप हैं जिनका अपना- अपना सियासी असर और रसूख है. सबसे बड़ी बात यह है कि अब अमेठी और रायबरेली में चुनाव के लिए 12 दिन का समय बचा है लेकिन कई दिग्गज अभी भी साइलेंट मोड में नजर आ रहे हैं. चाहे BJP की विधायक अदिति सिंह हो या धीरेन्द्र सिंह अभी तक यह दोनों नेता बीजेपी प्रत्याशी दिनेश सिंह के समर्थन में नजर नहीं आए हैं.

गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी मैदान में…

गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी के राहुल गांधी अब रायबरेली लोकसभा सीट से सियासी रणभूमि में उतरे हैं. जिनका मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह और बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव से है. राहुल के चुनावी अभियान की कमान कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गाँधी ने संभाल रखी है वहीं, उन्होंने आज से चुनावी नुक्कड़ सभाएं और जनसंपर्क शुरू कर दिया है. रायबरेली पर केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की नजर है.

गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है रायबरेली…

बता दें कि देश में आजादी के बाद से रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. यहां से फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी तक सांसद रही हैं. रायबरेली की सियासत में भले ही गांधी परिवार की तूती बोलती रही हो, लेकिन यहां कई सियासी क्षत्रप हैं, जिनका अपना-अपना सियासी असर और रसूख है. रायबरेली में भले ही राहुल गांधी बनाम दिनेश प्रताप सिंह के बीच मुकाबला है.

कांग्रेस की नजर सियासी मठाधीशों पर भी …

भले ही रायबरेली कांग्रेस और गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा हो लेकिन अब यह इतना आसान नहीं रह गया है क्योंकि यहां के जो राजनीतिक मठाधीश पहले कांग्रेस के साथ थे वही अब BJP के साथ हैं. भले ही रायबरेली के अखिलेश सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनकी बेटी अदिति सिंह से लेकर उनके भतीजे मनीष सिंह अभी भी राजनीति में सक्रीय हैं. अदिति सिंह बीजेपी से विधायक हैं जबकि राज्यसभा चुनाव में सपा के नेता मनोज पांडेय ने भी क्रॉस वोटिंग की थी तो क्या यह माना जाए कि यह लोग दिल से कांग्रेस का काम कर रहे हैं. इसके अलावा अगर कई और नेताओं की बात की जाए तो यहाँ स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ पूर्व विधायक धीरेन्द्र सिंह और राजा राकेश प्रताप सिंह का भी अपना एक रसूख है.

रायबरेली में इन नेताओं का रसूख और प्रभाव…

अगर आज की राजनीति में रायबरेली की बात की जाए तो यहाँ कई ऐसे नेता है जिनका अब भी यहाँ काफी प्रभाव देखने को मिलता है चाहे वो किसी भी दल से हों. यहाँ पर बीजेपी विधायक अदिति सिंह, मनोज पांडेय, पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या, पूर्व मंत्री धीरेन्द्र सिंह और पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह एक अपने अपने इलाके के साथ जनता के बीच एक अच्छा खासा प्रभाव रखते है.

इंदिरा ने किया था रायबरेली से चुनावी राजनीति का आगाज

आपको बता दें कि फिरोज गांधी की मौत के बाद खाली हुई इस सीट पर कोई भी गांधी परिवार का व्यक्ति यहाँ से चुनाव नहीं लड़ा. वहीँ 1964 में इंदिरा गाँधी ने सीधे राज्यसभा सांसद बनकर राजनीति में डेब्यू किया और उसके बाद 1967 के चुनाव में रायबरेली से चुनावी राजनीति का आगाज किया और उसके बाद लगातार 1980 तक चार बार यहाँ से जीतकर संसद पहुंचती रही.

इंदिरा गाँधी को तीन बार जीत मिली जिसमें उन्हें एक बार कोर्ट ने उनके निर्वाचन को अवैध ठहराया तो उन्हें एक बार हार का सामना करना पड़ा.

रायबरेली में 1980 से 1999 तक गैर गांधी सांसद…

बता दें कि 1967 में अस्तित्व में आई रायबरेली सीट में 1980 से लेकर 1999 तक गाँधी परिवार का कोई सदस्य यहाँ से सांसद नहीं रहा. 1980 में इंदिरा गाँधी ने दो लोकसभा सीट से चुनाव जीता था जिसमें रायबरेली और आंध्रप्रदेश की मेंढक सीट शामिल थी. दोनों में जीत हासिल करने के बाद इंदिरा ने रायबरेली सीट छोड़ दी थी और उपचुनाव में यहाँ से अरुण नेहरू कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे.1989 और 1991 में कांग्रेस की शीला कौल संसद पहुंचीं लेकिन 1996 और 1998 में इस सीट से बीजेपी के अशोक सिंह विजयी रहे. 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने सतीश शर्मा को टिकट दिया. कैप्टन सतीश ने यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दी.

तो आइये अब बात करते है रायबरेली के उन क्षत्रप की जिनका अपना- अपना सियासी असर और रसूख है…

अदिति सिंह…

बता दें कि अदिति सिंह रायबरेली सदर सीट से विधायक है और इस समय साइलेंट मोड़ में हैं. अदिति सिंह बाहुबली अखिलेश सिंह की बेटी हैं और उनके रिश्ते दिनेश प्रताप सिंह से जगजाहिर है. दिनेश के नामांकन में भी अदिति नजर नहीं आई थी कहा जा रहा है कि अदिति ने एक अलग गुट बना रखा है जिनकी दिनेश प्रताप सिंह से नहीं पटती.

स्वामी प्रसाद मौर्या…

पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद का भी अपना यहाँ एक सियासी रसूख है क्योंकि उन्होंने भी अपनी शुरूआती राजनीति यहीं से की थी. स्वामी प्रसाद दो बार डलमऊ (ऊंचाहार) विधानसभा सीट से विधायक रहे और उनके बेटे भी यहाँ से चुनाव लड़े, जिसके चलते यहाँ के मौर्या समाज में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है.

धीरेंद्र सिंह और राजा राकेश सिंह

पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह अभी तक पार्टी प्रत्याशी दिनेश सिंह के साथ नजर नहीं आए हैं. धीरेंद्र सिंह पूरी तरह साइलेंट मोड में दिख रहे हैं. इसके अलावा पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह भी अभी तक दिनेश प्रताप सिंह के लिए वोट मांगते हुए नजर नहीं आए हैं. राजा राकेश की शिवगढ़ के इलाके में मजबूत पकड़ मानी जाती है. बीजेपी के दोनों ही नेता अभी तक साइलेंट मोड में हैं. राजा राकेश सिंह के दिनेश प्रताप सिंह से रिश्ते अच्छे नहीं है.

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अजय पाल सिंह और आरपी यादव

ऊंचाहार से कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय पाल सिंह बहुत दिनों बाद फिर से सक्रिय नजर आ रहे हैं. 2022 के चुनाव में अजय पाल सिंह ने बीजेपी की मदद की थी, लेकिन 2024 में राहुल गांधी के प्रस्तावक हैं और चुनावी कमान पूरी तरह से संभाल रखी है. अजय पाल सिंह की नाराजगी केएल शर्मा के साथ थी, लेकिन अब उनके रायबरेली से हटते ही वो एक्टिव हो गए हैं. इसी तरह से रायबरेली सदर से सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले आरपी यादव भी खुलकर कांग्रेस के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. रायबरेली में राहुल गांधी के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार में पूरा दमखम लगा रहे हैं. इसके अलावा हरचंद्रपुर से सपा विधायक राहुल लोधी खुलकर कांग्रेस के साथ खड़े हैं. पूर्व सांसद अशोक सिंह के बेटे मनीष सिंह कांग्रेस के लिए पूरी तरह लगे हुए हैं.

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