Teacher’s Day Special: परिवार का पेट भरने के लिए इस शिक्षक ने बेचा दिया था मेडल
भारत एक ऐसा देश हैं, जहां माता पिता का जितना सम्मान होता है, उतना ही एक शिक्षक का सम्मान होता है। गुरु को भगवान माना जाता है। ऐसे में शिक्षकों के लिए भारत में बना आज का दिन विशेष महत्व रखता है। आज शिक्षक दिवस है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को देश शिक्षक दिवस में रूप में मनाता है।
ये तो सब जानते हैं कि वे एक दार्शनिक, शिक्षक थे लेकिन आज जो सम्मान उनको पूरा देश दे रहा है, उसके लिए उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ी, किन परेशानियों का सामना करना पड़ा, ये कम ही लोग जानते होंगे।
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दरअसल, बहुत गरीब परिवार में जन्मे राधाकृष्णन की जिन्दगी में एक ऐसा दौर भी आया था, जब उन्होंने अपने परिवार का एक सिर्फ एक दिन का भोजन अर्जित करने के लिए अपना मेडल तक बेच दिया था। बता दें कि घर की आर्थिक स्थिति बदतर होने की वजह से डॉ. कृष्णनन के पिता चाहते थे कि वे एक मंदिर में पुजारी बन जाए। हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे परिस्थितियों से जूझते रहे और उन्होंने महज 12 साल की उम्र में ही स्वामी विवेकानंद के दर्शन का अध्ययन कर लिया था।
परीश्रम के बल पर अर्जित की उपलब्धियां:
डॉ. कृष्णनन ने दर्शन शास्त्र से एमए किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने 40 वर्षों तक शिक्षक के रूप में काम किया। वह 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। इसके बाद 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर रहे और 1939 से 1948 तक वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे। उन्होंने भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया।
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