नवाबों के शहर को टीसीएस कहेगी ‘टाटा’!
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानि टीसीएस लखनऊ को टा-टा कहने की तैयारी में है! यहां काम करने वाले कर्मचारियों का दावा है कि उन्हें टीम लीडर्स ने मौखिक तौर पर बुधवार को बता दिया कि यहां से काम समेटा जा रहा है। साल के अंत तक कंपनी ज्यादातर प्रॉजेक्ट्स दूसरी जगह शिफ्ट कर देगी।
अधिकारियों ने कर्मचारियों को मौखिक जानकारी दी
लखनऊ में काम करने वाले कई कर्मचारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिक मंत्री रवि शंकर प्रसाद और प्रदेश सरकार के उप-मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा को भी पत्र लिखा है। हालांकि टीसीएस के अधिकारी फिलहाल कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
1700 अधिकारी और कर्मचारी TCS में काम करते हैं
लखनऊ में टीसीएस का कार्यालय 33 साल पुराना है। जानकारों के मुताबिक उस समय महज 50 कर्मचारियों से टीसीएस दफ्तर शुरू हुआ था। मौजूदा समय में करीब 1700 अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनके अलावा करीब 500 लोग हाउस कीपिंग, सिक्युरिटी और दूसरे कामों से जुड़े हैं।
कंपनी को शिफ्ट करने का कर्मचारियों में विरोध
कंपनी के एक अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंसॉलिडेशन किया जाना है। लखनऊ के कर्मचारियों और उनके प्रॉजेक्ट्स को दूसरे ऑफिस में शिफ्ट किया जाएगा। कर्मचारियों में कंपनी के फैसले को लेकर असंतोष है। उनका कहना है कि पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वे दूसरे शहर नहीं जा सकते।
ट्विटर पर हैशटैग #savetcslko वॉर छेड़ दी है
कंपनी के कर्मचारी खुलकर तो सामने नहीं आ रहे हैं, लेकिन ट्विटर पर हैशटैग वॉर छेड़ दी है। #savetcslko के हैशटैग के साथ एक पत्र भी ट्विटर पर पोस्ट किया गया है। पत्र में लिखा है कि कंपनी के कुछ अधिकारी सरकार से मिले थे और उन्होंने कंपनी बंद करने की बात पर सरकार को गुमराह किया है। जबकि पत्र में दावा किया गया है कि कंपनी यहां से रुखसत होना चाह रही है।
लखनऊ से टूट जाएगा टीसीएस का 33 साल पुराना रिश्ता
राजधानी में टीसीएस का काम 1984 से चल रहा है। वर्ष 1884 से 1988 तक इसका दफ्तर राणा प्रताप मार्ग पर था। इसके बाद 1988 से 2008 तक टीसीएस का दफ्तर स्टेशन रोड पर था। स्टेशन रोड से टाटा ग्रुप ने 2008 में टीसीएस का दफ्तर गोमतीनगर में शिफ्ट कर दिया।