पत्रकारिता छोड़ खोला ‘रोटी बैंक’, मिटा रहे हजारों गरीबों की भूख

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भारत देश 21वीं सदी में सबसे तेज विकास करने और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती की बात करने वाले बड़े बड़े दावे किए जा रहे हैं, ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि दिल्ली में बैठे वो लोग ऐसी बात कर रहे हैं जिन्हें जनता ने साल 2014 के आम चुनावों में प्रचंड बहुमत देकर देश की सत्ता उनके हाथों में सौंपी थी। लेकिन इनके दावे और वादे तब दम तोड़ते हुए दिखाई देते हैं जब झारखंड के सिमडेगा गांव में एक 11 साल की बच्ची भूख से दम तोड़ देती है तो वहीं दूसरी तरफ एक 60 साल का बुजुर्ग पेट की आग में जल कर स्वाहा हो जाता है।

भूख से सैकड़ो लोगों की रोज हो रही है मौत

हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या देश का विकास नहीं है बल्कि भूख और गरीबी के साए में दम तोड़ते वो लोग हैं जिनको खाने के लिए अन्न का एक दाना नहीं है। हम जैसे ही घर से बाहर एक कदम भी रखते हैं तो देखते हैं कि बस स्टॉप से लेकर रेलवे स्टेशन तक ऐसे सैकड़ो लोग नजर आते हैं जो हाथ में कटोरा लिए पेट की दुहाई देते नजर आते हैं। ऐसे में ये कहना देश के साथ छल करने जैसा है कि हमारा देश बदल रहा है आगे बढ़ रहा है। देश में ऐसे न जाने कितने लोग हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है।

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पत्रकारिता छोड़ मिटा रहे हजारों गरीबों की भूख

ऐसे में हमारे बीच से कोई निकल कर आता है और इन गरीबों के पेट की आग को बुझाने की एक कोशिश में लग जाता है। शायद देश के इसी दर्द को एक पत्रकार ने महसूस किया होगा और अपनी पत्रकारिता को अलविदा कह इन गरीबों की भूख मिटाने का बीड़ा उठा लिया। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी से करीब 230 किलोमीटर दूर बसे बुंदेलखंड के रहने वाले पत्रकार तारा पाटकर की। तारा पाटकर ने साल 2014 में अपने प्रोफेशन को अलविदा कह दिया और निकल पड़े गरीबों की भूख मिटाने के लिए।

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तारा सिंह ने साल 2014 में एक रोटी बैंक की स्थापना

तारा सिंह ने साल 2014 में एक रोटी बैंक की स्थापना की और इस बैंक के जरिए जरुरतमंदों की सेवा करना शुरू कर दिया। तारा सिंह रोटी बैंक के जरिए महोबा जिले में भूख और बेघर लोगों को मुफ्त में खाना देते हैं। आपको बता दें कि उनकी टीम रोजाना करीब एक हजार लोगों को मुफ्त में खाना खिलाती है।

देश के कई राज्यों में खुल चुका है रोटी बैंक

तारा सिंह ने साल 2014 में जो रोटी बैंक की स्थापना की थी आज महोबा के अलावा इंदौर, छतरपुर, ललितपुर, दिल्ली, बैंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, आगरा, हमीरपुर, उरई, हजारीबाग, और गुजरात तक पहुंच चुका है।

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