प्रतिभा गरीबी की मोहताज नहीं… 12 साल के बालक ने तैयार की माँ दुर्गा की मूर्ति…

इस बार कई खास पंडाल और मां दुर्गा के प्रतिमा के दर्शन होंगे...

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वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी के नाम एक से बढ़कर एक उपलब्धियां जुड़ी हुई हैं. देशभर में इन दिनों शारदीय नवरात्र की धूम है. बनारस में नवरात्र को बहुत ही खास अंदाज में मनाए जाने के लिए जाना जाता है. इतना ही नहीं काशी को मिनी बंगाल भी कहा जाता है. कोलकाता के बाद काशी में दुर्गा पूजा उत्सव देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में इस बार कई खास पंडाल और मां दुर्गा के प्रतिमा के दर्शन होंगे…

सोशल मीडिया के दौर में कलाकारी…

बता दें कि इस बदलते युग में सोशल मीडिया का दौर चल रहा है बच्चे भी सोशल मीडिया देखकर सिर्फ गलत कार्य ही नहीं, अच्छे कार्य भी करते हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बनारस के छित्तुपुर क्षेत्र में रहने वाले दो लड़कों ने. दोनों ही मूर्तिकार गुथी हुई मिट्टी से प्रतिमा को आकार देते हैं. इसमें कुछ ऐसे भी हैं जिनकी कलाकारी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है.

पुआल, बास और पेंट से तैयार करते है मूर्ति…

बता दें कि दोनों ही मूर्तिकार पुआल बास पेंट से मां दुर्गा की सबसे खूबसूरत प्रतिमा बनाते हैं. इन मूर्तियों को देखने के लिए लोग आगे आते-जाते इस भव्य और अद्भुत प्रतिमा के दर्शन कर रहे है. प्रतिमा को तैयार करने वाले दोनों भाइयों ने बताया कि लगभग एक माह में हम यह प्रतिमा तैयार किए हैं. मां दुर्गा के अलावा महिषासुर, भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, सरस्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा भी इसी से तैयार हुई है.

 

 

यूट्यूब से सीखी कलाकारी…

बता दें कि Journalist Cafe से बातचीत में दो युवाओं ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब पर देखकर मूर्ति बनाना सीखा. Journalist cafe के संवाददाता ओमकारनाथ से बातचीत में उन्होंने बताया कि, वह यूट्यूब से देखकर बिना फ्रेम, सांचा के ऐसी मूर्ति तैयार करते है. इतना ही नहीं जब टीम श्रेयांश के पास पहुंची तो उनके आसपास रहने वाले लोग काफी उत्साहित दिखे और सभी ने कहा कि श्रेयांश और उसके भाई की यह कलाकारी है जो बिना किसी मदद के पिछले पाच सालों से इसी तरह दुर्गा जी की प्रतिमा को तैयार कर रहे हैं.

प्रतिभा गरीबी की मोहताज नहीं

बता दें की प्रतिभा गरीबी की मोहताज नहीं होती. पिताजी छोटी सी गोलगप्पे की दुकान चलाते हैं परंतु उनका बालक कुछ अलग कर रहा है जिसको देखकर लोग उसके पास खींचे चले आते हैं. श्रेयांश व उसका भाई साल भर जो जेब खर्च मिलता है, उसे इकट्ठा कर प्रतिमा बनाते हैं. मूर्ति इतनी भव्य तैयार करते है कि लोगों की निगाहें टिक जाती है. बिना फरमा का प्रयोग किए यह बालक जो मूर्ति बनाता है तो लगता ही नहीं है कि इसमें फरमा का प्रयोग नहीं किया होगा. श्रेयांश ने बताया कि लगभग चार-पांच साल से प्रतिमा बनाने का काम कर रहे है. उसने माता दुर्गा के साथ ही मां सरस्वती, माता लक्ष्मी, गणेश कार्तिक, महिषासुर राक्षस और उनके वाहन भी बनाए हैं. मूर्ति को बनाने में 30 दिनों का समय लगा है.

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पड़ोस में रहने वाली बेबी कुशवाहा ने बताया कि यह दोनों बालक पिछले कई सालों से विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाते हैं. और जिन्हे भी मूर्ति की आवश्यकता होती है उन्हें यह सिर्फ लागत लेकर मूर्तियां बनाकर दे देते हैं. लोगों से किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक नहीं लेते हैं. पहले यह दोनों बालक छोटी-छोटी मूर्तियां बनाते थे. समय के साथ-साथ यह दोनों बालक बड़े मूर्तियां बनाने लगे हैं. इस बार लगभग 12 फुट की देवी दुर्गा की प्रतिमा बनाई है.

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बेबी कुशवाहा ने बताया कि यह दोनों बालक भोलेनाथ, दुर्गा प्रतिमा, माता लक्ष्मी, गणेश प्रतिमा, माता काली सहित अन्य विभिन्न प्रकार की प्रतिमाएं बनाते रहते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि यह पिछले कई सालों से बना रहे हैं और उनकी अद्भुत प्रतिमा के लोग कायल है.

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