सीरिया राष्ट्रपति ने मॉस्को में ली शरण, जानें क्या है वजह ?

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मिडिल ईस्ट देश इन दिनों मुश्किल समय से गुजर रहे हैं, जिसमें श्रीलंका, बांग्लादेश के बाद सीरिया भी उसी हालात का सामना कर रहा है. ऐसे में बीते 8 दिसंबर को हयात तहरीर अल शाम के नेतृत्व वाले विद्रोही संगठन ने महज 11 दिनों में ईरान के करीबी बशर अल असद की सरकार का तख्तापलट कर रख दिया है. ऐसे में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के पास भागना ही एक मात्र विकल्प बचा और वे अपने पद से इस्तीफा देकर भाग निकले. दूसरी ओर अब जानकारी मिल रही है कि उन्होंने मॉस्को में शरण ली है. वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मॉस्को पहुंच गए हैं.

वहीं सीरिया में असद सरकार की रक्षा करने में नाकाम रही रूस की सरकार ने असद के परिवार को राजनीतिक शरण दी है. सीरिया की असद सरकार में दमिश्क के दो सबसे करीबी दोस्त रूस और ईरान रहे हैं. इसमें सीरिया से ईरान की दूरी 1900 किलोमीटर और रूस की दूरी 4500 किलोमीटर है. ऐसे बड़ा सवाल यह है कि ईरान के पास होने के बावजूद भी असद ने शरण के लिए रूस को ही क्यों चुना ?

सीरिया राष्ट्रपति ने मॉस्को में क्यों ली शरण ?

ईरान भले ही सीरिया के भौगोलिक रूप से नजदीक है, लेकिन वह रूस जैसी सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम नहीं है. कुछ महीने पहले हमास के प्रमुख इस्माइल हानिया तेहरान में एक स्टेट गेस्ट के रूप में मौजूद थे, लेकिन एक हमले में उन्हें मार डाला गया. हालांकि, इजराइल ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि, इस हमले के पीछे इजराइल का ही हाथ था. इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि, सीरिया के मामले में तुर्की और इजराइल दोनों एकजुट हैं. ऐसे में अगर असद ईरान जाते तो संभव था कि तुर्की और इजराइल उनके लिए नई दिक्कते खड़ी कर सकते थे.

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महज़ 11 दिन में असद सरकार का तख्तापलट

सीरिया में 27 नवंबर को विद्रोही गुटों ने असद सरकार के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की और मात्र 11 दिनों के भीतर 8 दिसंबर तक विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया. हालांकि, इस दौरान ईरान और रूस ने असद सरकार को बचाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन वे विफल रहे. ईरान के प्रॉक्सी गुट जो इजराइल के साथ संघर्ष में कमजोर पड़ चुके थे और रूस जो 33 महीनों से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उलझा हुआ है, दोनों ही विद्रोहियों की आक्रामकता के सामने नाकाम हो गए. इस संकट के बीच सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने तख्तापलट से कुछ घंटों पहले इस्तीफा देकर मॉस्को का रुख किया. उन्होंने अपने परिवार के साथ रूस में शरण ली, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि, असद ने अब अपनी सरकार को बचाने की उम्मीद छोड़ दी है और उनका भविष्य अब रूस के हाथों में है.

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