महिला सशक्तिकरण की मिसाल थीं सुषमा स्वराज
देश की पहली महिला विदेश मंत्री और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज महिला सशक्तिकरण की मिसाल थीं।
व्यक्तिगत जीवन-
सुषमा स्वराज का जन्म हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी 1952 को हुआ था। सुषमा स्वराज ने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की थी साथ ही साल 1973 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी शुरू की। सुषमा जी का विवाह पेशे से वकील स्वराज कौशल से 1975 में हुआ, जो मिजोरम के गवर्नर भी रह चुके हैं।
राजनीतिक सफ़र-
सुषमा स्वराज ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत महज़ 25 वर्ष की आयु से शुरु की थी। 1977 में पहली बार हरियाणा के अंबाला सीट से चुनाव जीतकर देश की युवा विधायक के रुप में काम शुरु किया।
सुषमा स्वराज ने अपना राजनीतिक सफर 1970 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से किया। उसके बाद 1977-82 और 1987-89 तक वह हरियाणा विधानसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं इतना ही नहीं उन्हें हरियाणा की देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनाया गया। साथ ही 1990 में राज्यसभा सदस्य भी बनीं। 1996 और 1998 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा सांसद बनीं।
सोनिया गांधी से मिली हार-
इसके बाद अटल जी की सरकार में उन्हें 13 दिन के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। मार्च 1998 में दूसरी बार अटलजी की सरकार बनने पर वे एक फिर से दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला।
1999 में बीजेपी ने उन्हें सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से उतारा, जिसमें उन्हें सात फीसदी मतों से हार मिली। उसके बाद 2000 से 2003 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं।
2014 से 2019 तक रहीं विदेश मंत्री-
सुषमा स्वराज ने 2003 से 2004 तक स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभाला। सुषमा स्वराज के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए केंद्र ने छह नए एम्स को हरी झंडी दी। इसके बाद इन्होंने 2009 और 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीती तो वहीं 2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं।
सुषमा स्वराज की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में थीं। यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी कई मौकों पर तारीफ की।
नहीं लिया कोई पद-
स्वास्थ्य खराब होने के कारण सुषमा स्वराज ने 2019 के लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया। जब 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुमत के साथ बीजेपी की पूर्णबहुमत के साथ सरकार बनी तो अनुमान लगाया जाने लगा कि सुषमा एक बार फिर से विदेश मंत्री के तौर पर कार्य कर सकती हैं, लेकिन उन्होंने खराब सेहत के चलते मंत्री पद नहीं लिया।
मंगलवार रात स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया जहां पर दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। सुषमा स्वराज का सियासी सफर बहुत ही यादगार रहा है, कुशल नेतृत्व और मजबूत इरादों के लिए देश उन्हें हमेंशा याद करेगा।
यह भी पढ़ें: अलविदा कह गईं भारत की ‘सुषमा’
यह भी पढ़ें: ‘मोदी जी काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, गरीबों के रखवाले हैं’