“भाजपा, जदयू से हाथ नहीं मिलाएगी” : सुशील मोदी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी(Sushil kumar Modi) ने गुरुवार को बिहार में जनता दल युनाइटेड (जदयू) के साथ किसी तरह के गठबंधन से इंकार किया। सुशील मोदी ने कहा कि चाहे जदयू का राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से संबंध टूट जाए, तो भी भाजपा, जदयू से हाथ नहीं मिलाएगी।
मोदी ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविद को जदयू के समर्थन को लेकर नीतीश कुमार और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ‘मुद्दे पर आधारित’ दोस्ती के बारे में अधिक अनुमान नहीं लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिर्फ भाजपा का संसदीय बोर्ड ही बिहार में किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम पर फैसला कर सकता है।
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सुशील मोदी ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “जदयू के साथ गठबंधन की भाजपा की कोई योजना नहीं है। किसी भी ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के संदर्भ में भाजपा का संसदीय बोर्ड ही फैसला कर सकता है।”
उन्होंने बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय के बयान पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
नित्यानंद राय ने कहा था कि यदि जदयू का संबंध लालू यादव की राजद पार्टी से टूट जाता है तो भाजपा, जदयू को बाहर से समर्थन करने पर विचार करेगी।
मोदी ने कहा कि राय ने ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया है।
सुशील मोदी ने कहा कि जदयू और भाजपा ने कुछ चुनिंदा मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन किया है लेकिन इसे दोनों पार्टियों के एक मंच पर आने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन मुद्दा आधारित है, इसमें कुछ ज्यादा अनुमान नहीं लगाना चाहिए। भाजपा ने नीतीश को शराबबंदी पर समर्थन दिया था और उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया है। लेकिन, उप राष्ट्रपति चुनाव में उनकी (नीतीश की) पार्टी ने विपक्षी संप्रग के प्रत्याशी का समर्थन किया है।
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सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार सरकार को अस्थिर करने का कोई षडयंत्र नहीं रच रही है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय लालू प्रसाद, उनके बेटे व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यावद और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्यों खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों की जांच कर रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री के तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर ‘चुप्पी साधने’ के सवाले के बारे में पूछने पर सुशील मोदी ने कहा, “जिस दिन नीतीश कुमार और लालू ने गठबंधन किया, उसी दिन नीतीश ने अपनी ईमानदारी और पारदर्शिता से समझौता कर लिया।
उन्होंनें सत्ता में रहने के लिए लालू प्रसाद से हाथ मिलाया और अब वह उनके गले की हड्डी बन गए हैं। उनके पास अब एक ही विकल्प शेष है और वह है तेजस्वी यादव को बर्खास्त करना।”
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