शादी का वादा करके दुष्कर्म करने वाला हर पुरुष ‘रेप’ का दोषी नहीं!
शादी का वादा कर यौन सम्बन्ध बनाने और बाद में वादे की नाकामयाबी को ‘रेप’ नहीं कहा जा सकता है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि शादी करने का हर नाकाम वादा रेप नहीं हो सकता। इस तरह के मामले में पुरुष को रेप के आरोप में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हालाँकि कोर्ट ने ये भी कहा कि कानून के तहत ऐसे मामलों में पुरुषों को रेप का दोषी जरूर ठहराया जा सकता है।
वादा करने से पहले पुरुष को पता हो कि नहीं करेगा शादी, तब होगा दोषी
कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में हर पुरुष को दोषी नहीं दहराया जा सकता। वादा करके महिला से शादी न करने वाला हर पुरुष रेप का दोषी नहीं होता। उसे दोषी साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष को ये सिद्ध करना होगा कि आरोपी पुरुष को पहले से पता था कि उसे महिला से शादी नहीं करनी है, उसके बावजूद झूठ बोलकर महिला से शारीरिक संबंध बनाए।
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इस मामले में कोर्ट कर रहा था सुनवाई:
दरअसल, एक महिला ने याचिका दाखिल की थी, जिसके तहत उसने सीआरपीएफ के एक अधिकारी पर आरोप लगाया था कि उससे शादी का वादा करके यौन उत्पीडन किया और बाद में मुकर गया। दोनों एक दूसरे को आठ साल से जानते थे। आरोप है कि साल 2008 में शादी का वादा कर सीआरपीएफ के अधिकारी ने जबरन उससे शारीरिक संबंध बनाए। 2016 तक दोनों के बीच संबंध रहे। महिला का आरोप है कि साल 2014 में अधिकारी ने महिला की जाति के आधार पर शादी करने में असमर्थता जताई। इसके बाद भी दोनों के बीच 2016 तक संबंध रहे। बाद में अधिकारी ने किसी अन्य महिला से सगाई कर ली।
कोर्ट ने महिला की याचिका ये कह कर खारिज कर दी कि दोनों के बीच का सम्बन्ध आपसी रजामंदी से था, ऐसे में पुरुष को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।