मुख्तार की मौत के मामले में सुप्रीम अदालत ने यूपी सरकार को जारी किया नोटिस

मुख्तार के खिलाफ दर्ज थे 60 से अधिक आपराधिक मामले

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गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी की मौत को तीन महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है. मुख्तार का परिवार शुरू से ही आरोप लगाते हुए आ रहा है कि उसे जेल में जहर दिया गया. इसे लेकर परिवार सुप्रीम कोर्ट भी गया है. सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (15 जुलाई) को मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. मुख्तार के बेटे उमर अंसारी की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने हिरासत में हुई मौत पर सवाल उठाया. सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि आरोप है कि मुख्तार को जेल में जहर दिया गया. इसकी जांच जरूरी है. सिब्बल ने कहा कि उन्होंने इससे पहले मुख्तार अंसारी को बांदा जेल में जान का खतरा होने का अंदेशा जताते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. मगर अब उसकी मौत हो चुकी है. लिहाजा ये याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है. ऐसे में वो इस याचिका में संशोधन करके नई अर्जी दाखिल करना चाहते है. उन्होंने ऐसा करने के लिए अदालत की इजाजत मांगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी में संशोधन की उमर अंसारी की मांग पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. यूपी सरकार के जवाब आने के बाद शीर्ष अदालत तय करेगी कि क्या संशोधित अर्जी को सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाए अथवा नहीं.

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर ने 2023 में दाखिल की थी याचिका

मुख्तार अंसारी के बेटे उमर ने 2023 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने कहा था कि उसके पिता की जान को खतरा है, इसलिए उसे यूपी की जेल से ट्रांसफर कर दिया जाए. शीर्ष अदालत में जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने उमर अंसारी की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्तार को जेल ले जाया गया और उसकी मौत हो गई. इस मामले की जांच होनी चाहिए. इस पर जस्टिस रॉय ने कहा कि हम उसे वापस नहीं ला सकते हैं. सिब्बल ने इसके जवाब में कहा कि इस देश में लोगों के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता को जिस बात का डर था, वो हो चुका

सरकार की तरफ से पेश हुए एएसजी नटराज ने कहा कि शुरुआत में जो मांग की गई, उसे निपटा दिया गया है. सिब्बल ने तुरंत कहाकि याचिकाकर्ता को जिस बात का डर था, वो हो चुका है. वरिष्ठ अधिवक्ता कहना चाह रहे थे कि उमर अंसारी ने मुख्तार की जान को खतरा होने की बात कही और उसकी मौत भी हो गई. इसके जवाब में जस्टिस रॉय ने कहा कि आपका (कपिल सिब्बल) कहना है कि दोषी कैदी को जेल में मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया, जिसके कारण मौत हुई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उमर अंसारी की याचिका में संशोधन के लिए यूपी सरकार को नोटिस जारी किया. पीठ ने आवेदन पर नोटिस जारी करते हुए उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से कहा कि वह इस पर अपना जवाब दाखिल करे. पीठ ने नटराज को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.

विरोधियों द्वारा जान से मारने की कोशिशें हुई. पांच बार हुआ हमला

याचिका में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी की राजनीतिक संबद्धताओं को देखते हुए उनके विरोधियों द्वारा उन्हें जान से मारने की पहले भी कई कोशिशें की गईं हैं. इनके तहत उन पर पांच बार हमला किया जा चुका था. बता दें कि मुख्तार अंसारी साल 2005 से जेल में बंद था और उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. बांदा जेल में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ी और उसे 28 मार्च की रात इलाज के लिए रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया. जहां इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी. मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी को 30 मार्च को सुपुर्द ए खाक किया गया था.

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