कठुआ गैंगरेप : सुप्रीम कोर्ट सख्त, बार काउंसिल को भेजा नोटिस
कठुआ में 8 साल की मासूम बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या की बर्बर और सनसनीखेज वारदात का सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने संज्ञान लिया है। वकीलों द्वारा आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल करने से रोकने के लिए किए आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी किसी वकील को पीड़ित या आरोपी के लिए पेश होने से नहीं रोक सकता। कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार असोसिएशन, बार काउंसिल ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर और कठुआ जिला बार असोसिएशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को है।
सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर वकील अपने क्लाइंट का केस स्वीकार करता है तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह उसके लिए पेश हो। सीजेआई ने कहा कि अगर वकील को मुवक्किल के लिए पेश होने से रोका जाता है तो इसे कानूनी प्रक्रिया में रुकावट और कानून में बाधा पहुंचाना माना जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून में यह तय है कि कोई भी वकील या असोसिएशन किसी भी वकील को केस में पीड़त या आरोपी के लिए पेश होने से नहीं रोक सकते।
Also Read : UP से जुड़े हैं कठुआ गैंगरेप के तार, जम्मू-कश्मीर SIT ने किया खुलासा
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह ने सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच से गुजारिश की कि वह कठुआ की बर्बर घटना का स्वतः संज्ञान ले। वकीलों ने कहा कि वे इस केस से जुड़े तथ्यों को लिखित में सुप्रीम कोर्ट के सामने रखने के लिए तैयार हैं। वकीलों की गुजारिश पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर वकील कोर्ट के सामने लिखित में तथ्य रखते हैं तो मामले का संज्ञान लिया जाएगा। कोर्ट चाहता है कि उसके सामने इस तथ्य को लिखित में प्रस्तुत किया जाए कि कठुआ के वकीलों ने रेप आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने से रोकने के लिए आंदोलन किया था।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में सोमवार को एक समुदाय विशेष के वकीलों ने क्राइम ब्रांच को एक 8 साल की बच्ची के गैंगरेप और हत्या के 7 आरोपियों के खिलाफ दाखिल करने से रोका था। बच्ची मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच की डीएनए टेस्ट, फरेंसिक साक्ष्यों और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर आधारित जांच के मुताबिक हत्या से पहले बच्ची को एक मंदिर में कई दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया था। बच्ची को नशीली दवाइंया देकर उसके साथ कई दिनों तक दरिंदगी की गई। बाद में बच्ची की रस्साना गांव में हत्या कर दी गई।
सोमवार को क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) जैसे ही शाम सवा 4 बजे आरोपियों को साथ लेकर कठुआ कोर्ट परिसर में पहुंची, वकीलों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस के एक दल ने क्राइम ब्रांच को कोर्ट परिसर में घुसने के लिए रास्ता बनाने की कोशिश की लेकिन वकीलों के उग्र प्रदर्शन की वजह से उनकी कोशिशें नाकाम हो गईं।
इस बीच जम्मू और कश्मीर के डीजीपी एस.पी. वैद ने शुक्रवार को कहा कि कठुआ की घटना से बुरा कुछ भी नहीं हो सकता है। डीजीपी ने कहा, ‘यह बहुत ही जघन्य अपराध है, इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता। एसआईटी ने बहुत ही पेशेवर काम किया है और चार्जशीट फाइल कर दिया गया है। अब हमें उम्मीद है कि न्याय होगा।’
8 साल की बच्ची का शव रस्साना के जंगलों में 17 जनवरी को बरामद हुआ था। एक हफ्ते पहले ही वह घोड़ों को चराते वक्त गायब हुई थी। राज्य में व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार ने केस को क्राइम ब्रांच के हवाल कर दिया था। आरोपियों- संजी रामथे (मास्टरमाइंड), उसका बेटा विशाल, सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, 2 स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कॉन्स्टेबल तिलक राज और सिविलियन प्रवेश कुमार के खिलाफ रणबीर पेनल कोड की धारा 302 (हत्या), 376 (बलात्कार) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत केस दर्ज किया गया है।