सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह रेप मामले में फैसला रखा सुरक्षित

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सुप्रीम कोर्ट में चल रहे नाबालिग के वैवाहिक रेप मामल में आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया है। आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच में चल रही है। मालूम हो कि कोर्ट ने 5 सितंबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि बाल विवाह एक विवाह नहीं बल्कि कभी संभव न होने वाली तृष्णा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि कानून में बाल विवाह को अपराध माना गया है। इसके बावजूद लोग बाल विवाह करते हैं।

ये हैं कोर्ट की दलीलें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पास ऐसे तीन विकल्प है जिसमें पहला ये कि इस अपवाद को हटा दें कि अगर बाल विवाह मामले में 15 साल से 18 साल मकी लड़की के साथ उसका पति संबंध बनाता है तो उसे रेप माना जाए। दूसरी बात ये कि इस मामले में पॉस्को एक्ट लागू किया जाए, मतलब अगर 15 से 18 साल की लड़की के साथ उसका पति संबंध बनाता है तो उस पर पॉस्को एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए।

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तीसरी बात ये है कि अगर इस तरह के मामले को अपवाद माना जाए और अगर नाबालिग लड़की के साथ उसका पति अगर संबंध बनाता है तो उसे रेप न माना जाए। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि कम उम्र में शादी करने वाली महिलाओं को किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलता है। साथ ही याचिका में दलील दी गई है कि बाल विवाह पर रोक होने के बाद भी धड़ल्ले से शादियां हो रही हैं। जिससे लड़कियों की सेहत पर भी इसका असर पड़ता है।

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