दागी नेता भी बन सकेंगे पार्टी प्रमुख !

0

आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए लोगों को राजनीतिक पार्टी का प्रमुख बनने से रोक लगाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। शुक्रवार को इस याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एम. खानविलकर की बेंच ने खारिज कर दिया। बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा, ‘कोर्ट किस स्तर तक जा सकता है?

पॉलिटिकल पार्टी बना सकता है और उसका अध्यक्ष बन सकता है

इस मामले पर सरकार और संसद को फैसला लेना चाहिए। क्या हम किसी दोषी व्यक्ति को किसी पार्टी का प्रमुख बनने से रोक सकते हैं? क्या यह वाक् स्वतंत्रता पर रोक नहीं होगी? क्या कोर्ट किसी दोषी व्यक्ति को अपने राजनीतिक विचार रखने से रोक सकता है?’ याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वर्तमान में किसी गंभीर आपराधिक मामले में दोषी व्यक्ति पर चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद वह पॉलिटिकल पार्टी बना सकता है और उसका अध्यक्ष बन सकता है। याचिकाकर्ता ने इसके लिए लालू प्रसाद, ओमप्रकाश चौटाला और शशिकला का उदाहरण दिया, जिन्हें आपराधिक मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है।

मुलायम सिंह यादव आदि पर मामले दर्ज किए हैं

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘इसी तरह कोर्ट ने सुरेश कलमाड़ी, ए राजा, जगन रेड्डी, मधु कोड़ा, अशोक चव्हाण, अकबरुद्दीन ओवैसी, कनिमोई, अधीर रंजन चौधरी, वीरभद्र सिंह, मुख्तार अंसारी, मोहम्मद शहाबुद्दीन, मुलायम सिंह यादव आदि पर मामले दर्ज किए हैं, लेकिन फिर भी ये पॉलिटिकल पार्टियों में ऊंची स्थितियों पर बैठ कर राजनीति कर रहे हैं।’ याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ लूथरा और साजन पूवैया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जनप्रतिनित्व कानून, 1951 के प्रावधानों को देखना चाहिए।

वैधानिक कानून बनाने का सुझाव दिया है

जिसके मुताबिक चुनाव आयोग को किसी भी राजनीतिक दल को मान्यता देने और उनकी मान्यता वापस लेने का अधिकार है। लूथरा ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में राजनीतिक दलों का विस्तार चिंता का विषय रहा है और संविधान का रिव्यू करने वाली नैशनल वर्किंग कमिटी ने पार्टियों को मान्यता देने और मान्यता वापस लिए जाने के लिए वैधानिक कानून बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, ‘एक दशक पहले 2004 में चुनाव आयोग ने सेक्शन 29A में बदलाव का सुझाव दिया था, जिसमें पार्टियों को मान्यता देने और उनकी मान्यता वापस लेने के मामले में सही कदम उठाए जा सकें।’

पार्टियों की मान्यता रद्द करने के अधिकार पर होगी सुनवाई 

हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करने को तैयार हो गया है, जिसमें चुनाव आयोग को किसी पार्टी के गलत मामलों में संलिप्त होने पर उसकी मान्यता वापस लेने का अधिकार हो। इस मामले में कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार से सुझाव मांगे हैं। बता दें कि पिछले साल चुनाव आयोग ने ऐसी पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी थी, जिन्होंने 2005 के बाद से कोई स्थानीय या राष्ट्रीय चुनाव नहीं लड़ा था। यह फैसला विशेषाधिकार के तहत लिया गया था, जिसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। अभी चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है, जिससे वह किसी राजनीतिक पार्टी की मान्यता वापस ले सके।

(साभार – एनबीटी)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More