सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की सभी याचिकाओं को किया खारिज, जानें फैसले से जुड़ी अहम बातें
भारत में हुई नोटबंदी के खिलाफ दायर की गई सभी 58 याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि नोटबंदी को लेकर सरकार ने सभी नियमों का पालन किया. सोमवार को जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया. नोटबंदी को लेकर ये फैसला छह महीने तक सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच इस मसले को लेकर हुई बातचीत के बाद लिया गया है.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और याचिकाकर्ताओं की दलीलों को विस्तार से सुनने के बाद 7 दिसंबर, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
यहां जानिए याचिका और फैसले से जुड़ी अहम बातें…
1. 8 नवंबर, 2016 की रात 08:00 बजे पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में ऐलान करते हुए 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था. केंद्र सरकार के इस ऐलान के बाद देशभर के बैंकों, एटीएम पर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई दिखी थीं. लोगों ने पुराने नोट बदलकर नए नोट हासिल करने के लिए काफी जद्दोजहद की थी.
2. नोटबंदी के फैसले को मुद्दा बनाते हुए विपक्ष ने केंद्र सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाए थे. विपक्ष का कहना था कि ये एक तरह का घोटाला है. इसके खिलाफ कोर्ट में 58 अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हुईं थीं. इन पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 7 दिसंबर को आदेश सुरक्षित रख लिया था.
3. सुप्रीम कोर्ट में नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 5 जजों की बेंच ने अहम फैसला सुनाया. जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने इसकी अध्यक्षता की. इस बेंच में जस्टिस नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल रहे.
4. याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से दलील दी गयी थी कि इस मामले में आरबीआई कानून 1934 की धारा 26(2) का इस्तेमाल किया गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदम्बरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों पर किया जा सकता है.
5. केंद्र सरकार ने इसे अकादमिक मुद्दा बताते हुए कहा था कि कोर्ट ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है, जब ‘बीते वक्त में लौट कर’ कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है.
6. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को 7 दिसंबर को निर्देश दिया था कि वे सरकार के कर्ष 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद करने के फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करें. जिसके बाद केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से इस मामले पर सील बंद लिफाफा में दस्तावेज पेश किए गए थे.
7. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने नोटबंदी की वजहें समझाते हुए कहा था कि नोटबंदी कोई अकेला कदम नहीं था बल्कि एक व्यापक आर्थिक नीति का हिस्सा था, ऐसे में ये संभव नहीं है कि आरबीआई और सरकार अलग-थलग रहकर काम करती रहें. आरबीआई और केंद्र सरकार एक-दूसरे के साथ सलाह-मशविरा करते हुए काम करते हैं.
8. भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड मीटिंग के दौरान आरबीआई जनरल रेगुलेशंस, 1949 की कोरम (बैठक में एक निश्चित सदस्यों की संख्या) से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि इस बैठक में आरबीआई गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और आरबीआई एक्ट के तहत नामित पांच निदेशक शामिल थे. ऐसे में कानून की उस शर्त का पालन किया गया था जिसके तहत तीन सदस्य नामित होने चाहिए.
9. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय ने कहा ‘नोटबंदी के बाद से इसको लेकर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं. अब कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद है कि इसपर राजनीति शांत हो जाएगी.’
10. नोटबंदी पर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं. रिटायरमेंट से पहले उनका ये बड़ा फैसला ऐतिहासिक बताया जा रहा है.
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