सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए
70 साल बाद अयोध्या जमीन विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है।
कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का दावा समाप्त कर दिया है।
इस मामले में चार फैसले आने की संभावना, चार सील लिफाफे कोर्ट में पहुंचे हैं।
कोर्ट ने सर्वसम्मति से शिया वक्फ बोर्ड की अपील खारिज कर दी है।
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।
हिन्दू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा- यह एक ऐतिहासिक फैसला है।
इस फैसले के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।
विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए।
3 महीने की भीतर इसका नियम बनाए केंद्र।
इस बात के सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई की हिंदू पूजा करते थे।
रेकॉर्ड्स के सबूत बताते हैं कि विवादित जमीन के बाहरी हिस्से में हिंदुओं का कब्जा था।
बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जगह पर हुआ था, जमीन के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था।
ASI के निष्कर्षों से साबित हुआ कि नष्ट किए गए ढांचे के नीचे मंदिर था।
हिंदुओं की यह आस्था और उनका यह विश्वास की भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, यह निर्विवाद है।
केस का फैसला महज ASI के नतीजों के आधार पर नहीं हो सकता।
जमीन पर मालिकाना हक का फैसला कानून के हिसाब से होना चाहिए।
सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) संदेह से परे है और इसके अध्ययन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज किया।
उसने देरी से याचिका दायर की थी।
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