Jugnoo ऑटो टैक्सी सर्विस के सीइओ की ऐसी है कहानी, जानकर आप भी रह जाएंगे दंग

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Jugnoo नाम से ऑटो सर्विस शुरू करने वाले समर सिंगला ने अपने मेहनत और सपने की उड़ान को एक साथ लेकर शुरू किया था। समर सिंगला ने जब ये स्टार्टअप शुरू किया तो उनके सामने ढेर सारी मुश्किलों ने घेर लिया लेकिन उस सभी मुश्किलों से लड़ते हुए समर सिंगला ने एक इतिहास रचने में कामयाब हुए।

आज समर सिंगला की कंपनी जुगनू देश के 40 शहरों में पहुंच चुकी है। समर का बचपन से ही टेक्नोलॉजी की तरफ रुझान था। इसीलिए वे नई- नई टेक्नोलॉजी पर काम करते थे। 2009 में वे हायर एजुकेशन के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड गए। उस वक्त मैरीलैंड पोल्ट्री का सबसे बड़ा हब था।

वे मैरीलैंड में इस्तेमाल की जाने वाली टेक्नोलॉजी को भारत लाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी को छोड़ा और इंडिया आकर खुद का पोल्ट्री फीड फार्म शुरू किया।समर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जुगनू का आइडिया उन्हें पब्लिक ट्रांसपोर्ट देखकर आया। वे कहते हैं कि हमारे देश में ऑटो रिक्शा पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का सबसे अहम हिस्सा है।

इससे 26 बिलियन डॉलर का टर्नओवर हो सकता है, लेकिन कभी किसी ने इस बारे में सोचा नहीं है। ये सेक्टर अब तक अनऑर्गनाइज्ड था। जब उन्होंने स्टार्टअप के बारे में सोचा तो उन्हें अफोर्डेबल ऑटो ऐप ध्यान में आया। उन्होंने इसी विजन के साथ नवंबर 2014 में चंडीगढ़ में जुगनू सर्विस शुरू की। फिलहाल, ये सर्विस करीब 40 शहरों में है। 2017 के अंत तक इसे 100 शहरों में लॉन्च किया जाएगा।समर का कहना है कि स्टार्टअप में सब कुछ चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन जुगनू में सबसे ज्यादा परेशानी ऑटो रिक्शा ड्राइवर को साथ जोड़ने में आई। दरअसल, ड्राइवर लॉन्ग टर्म फायदों के बारे में नहीं सोचते हैं। जब उन्हें समझाया गया कि कमाई बढ़ेगी, तब जाकर ड्राइवरों ने साथ जुड़ना शुरू किया।

जून 2016 तक जुगनू के पास 12 हजार ऑटो रिक्शा थे। कुछ वक्त पहले उन्होंने नोएडा में महिला ऑटो ड्राइवर हायर किए। धीरे-धीरे वे अन्य शहरों में भी महिला ड्राइवर नियुक्त करने की प्लानिंग कर रहे हैं।समर ने 2014 में जुगनू को लॉन्च किया, लेकिन वे लंबे समय से स्टार्टअप के साथ जुड़े हैं। उन्होंने क्लिक लैब्स की स्थापना भी की।

अक्टूबर 2009 से नवंबर 2010 तक उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में बतौर रिसर्चर काम किया। वे कुछ वक्त तक आईबीएस से भी जुड़े रहे। मई 2008 से अगस्त 2008 तक आईबीएम में रिसर्चर की भूमिका में दिखे। उन्होंने कुछ वक्त तक सीईआरएन में साइंटिस्ट के तौर पर भी काम किया।समर आईआईटी को सबसे बड़ा टीचर मानते हैं।

उनका कहना है कि आईआईटी में बहुत कुछ सीखने को मिला और सबसे जरूरी बात जो उन्होंने सीखी, वो यह कि अगर आप स्मार्ट हैं और आउट ऑफ द बॉक्स सोचने की काबिलियत रखते हैं तो आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं। समर ने आईबीएम में इंटर्नशिप की थी। इसी दौरान उनकी मुलाकात स्टूएट पार्किन से हुई, जिन्होंने हार्ड डिस्क की डेन्सिटी और कैपिसिटी को एक हजार गुना बढ़ाने के लिए कई डिस्कवरी की थी।

वे स्टूएट को ही अपना मेंटर मानते हैं। उनका कहना है कि एक बार स्टूएट ने कहा था कि वर्क हार्ड एंड मार्केट योरसेल्फ। स्टूएट की ही इस बात को वे सबसे अमूल्य एडवाइस कहते हैं। इतना ही नहीं, समर इस बात में भी यकीन रखते हैं कि ऊंचाइयों को तय करने का सफर कभी भी आसान नहीं होता। मगर लगातार एफर्ट करते रहने से अच्छे नतीजे तो मिलते ही हैं।ऐप पर ऑटो बुक कराने वाली कंपनी जुगनू इंडिया ऑटो रिक्शा में पूलिंग का फीचर 2016 में लेकर आई।

जुगनू ने अपने ऐप में ‘जुगनू पूल’ नाम से फीचर जोड़ा था। ये फीचर कस्टमर को ये विकल्प देता है कि वह अपनी ऑटो राइड को शेयर कर सकता है। यानी सेम रूट वाले कस्टमर ऑटो पूलिंग का फायदा उठा सकते हैं। पॉल्यूशन को कम करने के लिए कंपनी ने यह फीचर ऐप में जोड़ा था। जुगनू ऐप से राइड सामान्य ऑटो रिक्शा की तुलना में थोड़ी महंगी पड़ती है, लेकिन कस्टमर के लिए ये फायदेमंद है, क्योंकि इससे कस्टमर फेयर शेयर कर सकते हैं।

समर का कहना है कि ज्यादातर लोग ऑटो रिक्शा से सफर करते हैं। पूलिंग फीचर से कंपनी ने ऑटो राइडर को सस्ता और आसान विकल्प दिया है।समर को ट्रैवलिंग पसंद है। वे फोटोग्राफी भी करते हैं। उन्हें रोजाना फोटोज क्लिक करना अच्छा लगता है। वे जिंदगी से जुड़ी साधारण चीजों को भी कैमरे में उतारना पसंद करते हैं।

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