फूड-टेक के आइडिया ने बदल दी लाइफ
कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद सभी युवाओं के सपने और काम करने के लिए अलग-अलग सपने होते हैं कोई नौकरी करना चाहता है तो कोई खुद का बिजनेस करना चाहता है। तो कोई अपने पिता का बिजनेस आगे बढ़ाने की सोचता है। इन सब के बीच कुछ ऐसे भी होते हैं जो मौज मस्ती में डूबे हुए जिन्हें कोई चिंता नहीं होती है कि आगे क्या करना है।
बस जो मिल गया उसी में खुश हैं। लेकिन कुछ लोगों के सपने कुछ बड़ा करने के होते हैं। जिसे पूरा करने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकते हैं। कुछ लोग नौकरी करके खुश हो जाते हैं तो कुछ खुद का साम्राज्य खड़ा कर विश्व पटल पर छा जाना चाहते हैं।
कुछ ऐसी ही कहानी है हिरण्मय गोगोई की है। गोगोई के साथ किस्मत ने ऐसा खेल खेला जिससे गोगोई कुछ समय के लिए एकदम टूट गए। गोगोई ही नहीं उनकी जगह कोई भी होता वो इस दर्द को झेलने के बाद टूटने से नहीं बच सकता था।
भाई और मां की मौत ने झकझोर दिया
दरअसल, जब हिरण्मय 15 साल के थे तभी 2012 में उनके बाई की सड़क दुर्घना में मौत हो गई और उसके कुछ दिन बाद उनकी माता जी का भी निधन हो गया। अब इस दर्द में ऐसा कौन शख्स हो सकता है जो टूटने से बच जाए। गोगोई की जिंदगी में मानों अंधकार सा छा गया।
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गोगोई के पिता ने कुछ दिन बाद दूसरी शादी कर ली। लेकिन गोगोई उस महिला को अपनी मां का स्थान नहीं दे पाएं ऐसा नहीं कि उन्होंने कोशिश नहीं की बहुत की लेकिन हार कर वो समझ गए कि खुद की मां का स्थान कोई दसरी औरत शायद नहीं ले सकती है। जिसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा करने की सोची जिससे वो इस अवसाद से निकल सकें और लोगों के लिए भी कुछ कर सकें।
फूड-टेक का आइडिया
बस क्या था इसी फैसले के साथ गोगोई को एक फूड-टेक का आइडिया दिमाग में आया। इसके जरिए गोगोई गांव के उन अंचलों में खाना और सब्जियां पहुंचाते हैं जहां से लोगों को शहर जाना मुश्किल होता है। गोगोई का ये बिजनेस पूरी तरह से ऑनलाइन है।
उन्होंने एक ऐप भी लांच किया जिसके जरिए लोगों को वो मिल सके जो वो चाहते हैं। इस ऐप को सात भागों मे बांट दिया गया है। जिसमें अलग-अलग पारंपरिक खानों और तरीकों का विकल्प दिया गया है। गांव खाना के साथ ही गोगोई ने कृषि विकास योजना भी शुरू किया।
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इसमें किसानों को गांव खाना में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। और उन्हें एक कार्ड दिया जाता है। जब ये किसी चीज का ऑर्डर करते हैं तो उनके घर पर फ्रेश सब्जियां और फल पहुंचा दिया जाता है। इस कार्ड की कीमत मात्र एक रुपए रखी गई है। इस प्रयास का नाम फ्रेश प्रॉम लैंड रखा गया है। हिरण्मय ने ये बिजनेस 2016 में मात्र 10 रुपए से शुरू किया था। हिरण्मय गोगोई को छठे छोटे और उभरते बिजनेस 2017 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है।
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