जानें कैसे ? 2 छोटे से कमरों में शुरु हुआ बिजनेस पूरे विश्व में फैल गया
देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट अब वॉलमार्ट की होने जा रही है। अमेरिकी रिटेल चेन वॉलमार्ट फ्लिपकार्ट का 70% हिस्सा खरीदने का ऐलान करने जा रहा है। प्रतिद्वंद्वी ऐमजॉन भी कथित रूप से फ्लिपकार्ट को खरीदना चाहता था, लेकिन भारतीय ऑनलाइन रिटेलर को वॉलमार्ट का ऑफर पसंद आया। फ्लिपकार्ट का सफर बेहद दिलचस्प और प्रेरक है। इसने दिखाया कैसे एक छोटा सा स्टार्टअप पूरी इंडस्ट्री को बदल सकता है। आइए डालते हैं फ्लिपकार्ट की स्थापना से लेकर अब तक के सफर पर नजर…
2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत
आईआईटी दिल्ली के दो ग्रैजुएट (सचिन बंसल और बिन्नी बंसल) ने ऐमजॉन की नौकरी छोड़कर 2007 में फ्लिपकार्ट की शुरुआत एक ऑनलाइन बुकस्टोर के रूप में की थी।
सचिन बंसल और बिन्नी बंसल इंडियन ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के संभवतः दो सबसे महत्वपूर्ण नाम हैं। दोनों के नाम के आगे बंसल जरूर लगा है, लेकिन दोनों रिश्तेदार नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ने अपनी स्कूलिंग हिसार के ओपी जिंदल मॉडर्न स्कूल से की। फिर साथ में ही आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन कंप्लीट किया। उसके बाद सचिन बंसल ने ‘टेकस्पैन’ में और बिन्नी बंसल ने ‘सैर्नऑफ कॉर्पोरेशन’ के साथ काम करना शुरू कर दिया। फिर दोनों ऐमजॉन में भी साथ रहे।
ऑनलाइन बुक स्टोर से शुरुआत
ऐमजॉन की तरह फ्लिपकार्ट ने भी ऑनलाइन बुक स्टोर से अपनी शुरुआत की थी। बाद में कई सारे प्रॉडक्ट्स की कैटिगरी को ऐड किया गया।
2 बेडरूम वाले ऑफिस से हुई शुरुआत
फ्लिपकार्ट की शुरुआत बेंगलुरु स्थिति 2 बेडरूम वाले एक अपार्टमेंट से हुई। इसके बाद 2008 में दिल्ली और 2009 में मुंबई में कंपनी का ऑफिस खुला। पिछले महीने कंपनी ने बेंगलुरु स्थित अपने सभी दफ्तरों को 8.3 लाख स्क्वेयर फीट के विशाल कैंपस में शिफ्ट किया।
विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए फ्लिपकार्ट ने 2011 में सिंगापुर का भी रुख किया।
इन कंपनियों को खरीदा
फ्लिपकार्ट ने छोटी ई-कॉमर्स कंपनियों को खरीदना भी जारी रखा। मिंट्रा, ईबे, फोनपे, चकपक जैसी कंपनियों को खरीद अपनी सफलता की कहानी बरकरार रखी।
सचिन बंसल 2009 से 9 साल तक फ्लिपकार्ट के सीईओ रहे। 2016 में बिन्नी बंसल सीईओ बन गए और सचिन ने एग्जिक्युटिव चेयरमैन का पद संभाला लिया।
2010 में शुरु की COD सुविधा
2010 में फ्लिपकार्ट ने लोगों को सामान हाथ में आने के बाद भुगतान (सीओडी) का विकल्प दिया। जब फ्लिपकार्ट ने कैश ऑन डिलिवरी (CoD) की शुरुआत की तब केवल 0.5 प्रतिशत लोग ही क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते थे। फ्लिपकार्ट के इस प्रयोग ने इंडस्ट्री की तस्वीर ही बदल दी।
नए कस्टमर्स बनाने के लिए फ्लिपकार्ट का यह बड़ा कदम था। कई लोग केवल इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग नहीं करते थे, क्योंकि उन्हें डर रहता था कि पता नहीं प्रॉडक्ट कैसा होगा। इसे देखते हुए फ्लिपकार्ट ने बिना किसी कारण बताए रिटर्न करने का ऑप्शन दिया।
2014 से पहले परंपरा यह थी कि पहले प्रॉडक्ट ऑफलाइन लॉन्च होता था और फिर ऑनलाइन सेल के लिए आता था, लेकिन फ्लिपकार्ट ने गेम बदल दिया। इंडिया में मोटोरोला ने फ्लिपकार्ट पर एक्सक्लूसिव सेल के जरिए वापसी की थी। 5 महीनों में ही मोटो ने 10 लाख स्मार्टफोन्स बेच दिए थे और अब यह ट्रेंड बन चुका है।
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भारत में इंटरनेट की स्पीड और पहुंच को देखते हुए फ्लिपकार्ट ने 2015 में लाइट वर्जन लॉन्च किया जो तेज था और कम स्पीड में भी चलता था। इस ट्रेंड को भी बहुत मोबाइल ऐप्स ने अपनाया।
फ्लिपकार्ट की नो कॉस्ट ईएमआई का लोगों को महंगे प्रॉडक्ट्स खरीदने में काफी फायदा हुआ। फ्लिपकार्ट की यह स्कीम भी काफी लोकप्रिय हुई है।
फ्लिपकार्ट ने लोगों को अपने पुराने प्रॉडक्ट्स एक्सचेंज करने का ऑप्शन दिया। कंपनी ने लोगों को इसके लिए अच्छी-खासी डील्स भी दीं। मोबाइल जैसे प्रॉडक्ट्स में इसका सबसे ज्यादा फायदा हुआ।