मेहनत के दम पर 5 हजार के बिजनेस को बना दिया 55 सौ करोड़ की कंपनी

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कहते हैं कारवां उन्ही के पीछे बनता है जो अकेले चलने का हुनर रखते हैं। क्योंकि इतिहास इस बात का गवाह है जब भी कोई किसी पथ पर अकेले चला है उसके पीछे चलने वाले हजारों मिल जाते हैं। देश को आजाद कराने के लिए गांधी जी ने अकेले ही निकल पड़े थे, लेकिन बाद में देखते ही देखते हजारो और लाखों की भीड़ उनके पीछे हो गई थी। अगर इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। बस हिम्मत और जुनून हो तो किसी भी सफलता को वो पा सकता है।

इंसान को अगर जिंदगी में में कुछ करना है तो जरुरी नहीं होता कि उसके पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां हो। क्योंकि दुनिया में बहुत से ऐसे लोगों की कहानियां है जो ये बताती है किं बड़ी डिग्री या बड़े संस्थान सिर्फ आप को एक नाम दे सकते हैं लेकिन सफलता की मंजिल तक पहुंचने के लिए मेहनत आप को खुद ही करनी पड़ती है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास डिग्री नहीं थी लेकिन मेहनत के दम पर आज बुलंदियों पर एक चमकता सितारा बनकर चमक रहे हैं।

55 सौ करोड़ रुपए की कंपनी है सुगुना फूड्स

कुछ ऐसी ही कहानी है बी. सौंदर्राजराजन की। ये वो शख्श हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर फर्श से अर्श तक पहुंच गए हैं। आज इनकी कंपनी 55 सौ करोड़ रुपए की कंपनी है। सौंदर्राजराजन के पास कोई बड़ी डिग्री या बड़े संस्थान का नाम नहीं जुड़ा था लेकिन बावजूद इसके आज वो सफलता की बुलंदियों पर हैं।

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11वीं के बाद छूट गई थी पढ़ाई

सौंदर्राजराजन ने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए सिर्फ 11वीं तक पढ़ाई की उसके बाद उनकी पढ़ाई छूट गई। लेकिन उन्होंने पढ़ाई को कभी अपनी सफलता के रास्ते में नहीं आने दिया। सौंदर्राजराजन आज के समय में पॉल्ट्री उद्योग में एक जाना माना नाम है।

18 राज्यों में फैला है व्यापार

इस समय इनकी कंपनी सुगुना फूड्स से भारत के करीब 18 राज्यों के 9 हजार गांवों के 23 हजार किसान जुड़ चुके हैं। जो अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। सौंदर्राजराजन का जन्म कोयंबटूर के एक छोटे से गांव में हुआ था। पिता सरकारी स्कूल में टीचर थे।उनके पास खेती करने के योग्य जमीन नहीं थी। घर की स्थिति ठीक न होने से उनके पिता ने उनकी पढ़ाई 11वीं के बाद रोक दी।

सब्जी की खेती में निराशा लगी हाथ

उसके बाद उन्होंने खेती करने का मन बनाया और करीब 3 साल तक उन्होंने सब्जी की खेती की लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने खेती का काम छोड़कर एक कंपनी में नौकरी करने चले गए जहां पर फर्नीचर बनाने का काम होता था। एक साल तक काम करने केबाद वहां पर उनका मन नहीं लगा तो उन्होंने हैदराबाद का रुख कर लिया।

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हैदराबाद में की सेल्समैन की नौकरी

शहर जाकर उन्होंने एक एग्रीकल्चर कपंनी में मार्केटिंग की नौकरी कर ली। सौंदर्राराजन ने कुछ समय तक शहर में पम्प बेचने का काम करते रहे। इस तरह उन्हें मार्केटिंग का अनुभव हो गया। लेकिन कुछ समय बाद ही उनकी कंपनी में हड़ता हो गई और नौकरी छोड़नी पड़ी। उसके बाद उनका मन नौकरी से एकदम हट गया और गांव वापस आ गए।

5 हजार रुपए से शुरू किया था पोल्ट्री का बिजनेस

गांव आकर उन्होंने छोटे भाई के साथ मिलकर महज 5 हजार रुपए में पोल्ट्री का काम शुरू कर दिया। यही वो दौर था जब उनके सफलता की गाड़ी रफतार भरने लगी थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज कंपनी 55 सौ करोड़ रुपए की कपंनी बन गई है। साल 2000 तक कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ तक पहुंच गया था।

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