मेहनत और जुनून के आगे हार गईं मुश्किलें, खड़ी कर दी अरबों की कंपनी

जिंदगी में अपने लक्ष्य को पाने के लिए जरुरी नहीं होता कि आपके पास वो सब साधन मौजूद होने चाहिए जिनके द्वारा आप अपने लक्ष्य को पाने के लिए उनका इस्तेमाल करें। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनके पास बुनियादी साधन भी नहीं होते हैं लेकिन हौसले और जज्बे से सफलता की ऐसी इबारत लिख जाते हैं जिसको दुनिया हमेशा याद करती है। किसी को कुछ चीजें जरुर विरासत में मिल जाती है लेकिन हर किसी के पास शायद वो विरासत नहीं होती है। कुछ ऐसी ही कहानी है हमारे आज के इस मिलेनियर की जिसने कड़ी मेहनत और लगन से अरबों का साम्राज्य खड़ा कर दिया।

बिहार के मैथिली परिवार में हुआ था आदित्य का जन्म

हम बात कर रहे हैं इंडो-नेपाली आदित्य झा की, जिन्होंने भारत से लकर विदेशों तक कामयाबी का परचम लहराया है। नेपाल के धनुषा जनकपुर में एक मैथिली परिवार में में जन्में आदित्य एक मिडिल क्लास फैमली से संबंध रखते हैं। इनकी पढ़ाई और पालन पोषण बिहार के सीतामढ़ी में हुआ। आदित्य 3 भाई और दो बहन हैं। इनके पिता नेपाल में वकालत करते थे।

उच्च शिक्षा के लिए देश और विदेश तक गए आदित्य

आदित्य को बचपन से ही कम्प्यूटर का बहुत शौक था। प्राइमरी शिक्षा लेने के बाद आदित्य आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए और वहां पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री लेने के बाद कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मैथ में मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने जेएनयू से शोध छात्र के रुप में शिक्षा प्राप्त की। इसी समय कम्प्यूटर मेनफ्रेम की ट्रेनिंग के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस भी गए। पेरिस में 6 महीने की ट्रेनिंग। आदित्य छात्र संगठन से भी जुड़े रहे थे।

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कई देशों में रहकर किया काम

भारत से अपने करियर की शुरुआत कर आदित्य ने सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और कई देशों में काम किया। साल 1994 में वो कनाडा चले गए। वहां पर उन्होंने आइसोपीया इंक नामक सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरूआत की। इस कंपनी को बाद सन माइक्रोसिस्टम ने 100 मिलियन डॉलर में अधिगृहित कर लिया। इसके बाद आदित्य ने दूसरी सॉफ्टवेयर कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का ऑफिस टोरंटो और बैंकाक में खोला। आदित्य बिजनेस के साथ-साथ वेलफेयर के कामों में भी दिल खोल कर योगदान करते हैं।

साल 2012 में ‘द ऑर्डर ऑफ कनाडा’ का मिला सम्मान

साल 2012 में उन्हें कनाडा का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ कनाडा’ से सम्मानित किया गया था। आदित्य युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में भी अग्रणी है। आदित्य को जितना मिला है उसको को किसी न किसी रुप में वापस भी कर रहे हैं। आदित्य झा तमाम युवाओं के लिए मिसाल हैं जो देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं।

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