बुलंदशहर बवाल : अखलाक मामले के गवाह और जांच अधिकारी भी थे सुबोध कुमार
बुलंदशहर के स्याना गांव में सोमवार को गोकशी की अफवाह के बाद फैली हिंसा में मारे गए पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह दादरी में मोहम्मद अखलाक लिंचिंग मामले में जांच अधिकारी थे। बता दें कि घर में गाय का मांस रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने मोहम्मद अखलाक और उनके बेटे पर घर में घुसकर हमला कर दिया था, जिसमें अखलाक को काफी चोटें आईं।
सुबोध कुमार ने इकट्ठा किए थे मामले के अहम सबूत
उन्हीं चोटों की वजह से अखलाक की मौत हो गई थी। इस केस में इंस्पेक्टर सुबोध गवाह नंबर-7 थे। इस केस की जांच में सुबोध कुमार सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और तय समय पर सभी जरूरी सबूत भी इकट्ठा कर लिए थे। हालांकि उन पर जांच के दौरान पार्दर्शिता न बरतने के आरोप लगे, जिसकी वजह से उन्हें केस के बीच में ही वाराणसी ट्रांसफर कर दिया गया था।
अखलाख को भीड़ ने पीट पीट कर मौत के घाट उतारा…
बिसाहड़ा में भी गोमांस को लेकर बवाल हुआ था। यहां 28 सितंबर 2015 की रात गोमांस रखने के शक में इखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया था। साथ ही यह गांव राजनीति का गढ़ बन गया था। यह गांव जारचा कोतवाली के तहत आता है।
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उस समय जारचा में सुबोध कुमार ही प्रभारी थे। उनकी अगुवाई में ही पुलिस की टीम ने बिसाहड़ा कांड का खुलासा कर गिरफ्तारियां की थीं। वह बिसाहड़ा कांड के जांच अधिकारी रहे हैं। इसी के आधार पर बिसाहड़ा कांड की चार्ज शीट तैयार हुई थी।
चार्जशीट किसी अन्य जांच अधिकारी ने फाइल की थी
चार्जशीट के अनुसार वह बिसाहड़ा कांड में गवाह नंबर-7 हैं। यूपी एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) आनंद कुमार ने बताया, ‘सुबोध कुमार सिंह 28 सितंबर 2015 से 9 नवंबर 2015 तक अखलाक लिंचिंग मामले में जांच अधिकारी थे। बाद में इस मामले में चार्जशीट किसी अन्य जांच अधिकारी ने फाइल की थी।’ सुबोध कुमार सिंह मूल रूप से एटा के रहने वाले थे।
मेरठ में भी उनका घर है, लेकिन तीन साल पहले ही उनका ट्रांसफर गाजियाबाद हुआ था। वहीं पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में इंस्पेक्टर सुबोध को गोली लगने (बुलेट इंजरी) की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, बुलेट उनकी बाईं भौंह से होते हुए सिर के अंदर चली गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पॉइंट 32 बोर के हथियार से गोली चलने की बात सामने आई है।
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