‘फीडिंग इंडिया’ से मिटा रहे गरीबों की भूख
चुनावों के दौरान मंच से बड़े-बड़े वादे और दावे किए जाते हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद ये बातें ऐसे भुला दी जाती हैं जैसे इन बातों से किसी नेता या पार्टी का कोई लेनादेना नहीं हैं। विकास के झूठे पहाड़ खड़े करने वाले और देश को विकसित राष्ट्र की लाइन में लाकर खड़े करने की बातें तब झूठी हो जाती हैं जब पता चलता है कि आज भी हमारे देश में रातों को करीब 20 करोड़ लोग भूखे सो जाते हैं, सिर्फ इस उम्मीद से कि कल हो सकता है कुछ खाने को मिल जाए।
अनुमान के मुताबिक हर साल 58 हजार करोड़ रुपए का बर्बाद होता है खाना
एक अनुमान के मुताबिक हर साल इसी देश में 58 हजार करोड़ रुपए का खाना शादी और अन्य समारोह में कूड़े की भेंट चढ़ जाता है।आश्चर्य की बात है कि एक तरफ किसी के पास खाना है लेकिन भूख नहीं और दूसरी तरफ भूख है लेकिन कुछ खाने के लिए नहीं। आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं जिसने देश की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई है सिर्फ इस उम्मीद के साथ कि हो सकता है उनके इस प्रयास से किसी की भूख मिट सके और रात को खाली पेट न सोना पड़े।
अंकित कवात्रा ने शुरू की पहल
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के अंकित कवात्रा की जिन्होंने भूख से निपटने के लिए समाधान ही नहीं निकाला बल्कि विश्व के पटल पर भारत को एक नई पहचान भी दिलाई। सभी मां-बाप चाहते हैं कि उनके बेटे-बेटियों की शादी बड़े धूमधाम से हो औऱ किसी चीज की कमी न रहे।
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शादी में बर्बाद खाने को देखकर आया आइडिया
एक दिन अंकित को एस शादी में जाने का मौका मिला, लेकिन जब वो शादी में पहुंचे तो शादी खत्म होने के बाद जब वापस आने लगे तो देखा कि तमाम खाना कूड़े के ढेर पर परवान चढ़ चुका था, जिसे देखकर उन्हें बहुत ही हैरानी हुई कि जिस खाने को कूड़े में फेंक दिया गया है उस खाने से करीब 5 हजार लोगों का पेट भरा जा सकता था।
कॉर्पोरेट की नौकरी को कहा अलविदा
अंकित ने सोच लिया कि कुछ ऐसा करुंगा जिससे बर्बाद होने वाले खाने को बचाया जा सके। इसी के साथ ही अंकित ने अपनी अच्छी खासी नौकरी को अलविदा कह दिया और अपने लक्ष्य को पाने के लिए निकल पड़े।
साल 2014 में फीडिंग इंडिया की शुरूआत
साल 2014 में अंकित ने फीडिंग इंडिया नाम से एक मुहिम की शुरूआत की, इसके जरिए शादी समारोह में बचने वाले वाले खाने को जरुरतमंदों तक पहुंचाने का काम शुरू किया। जब अंकित ने इस काम को शुरू किया था तो उनके साथ सिर्फ 5 लोग थे।
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टीम में आज 4500 लोग काम कर रहे हैं
आज के समय में उनकी टीम में करीब 4500 लोग काम कर रहे हैं। इनका काम इस समय देश के 42 शहरों में चल रहा है। अंकित की इस संस्था ने रैन बसेरे की भी शुरूआत की और एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है। जब कहीं शादी में खाना बच जाता है तो इनकी संस्था के लोग पहले जाकर उस खाने को चेक करते हैं और अगर सही है तो सारा खाना पैक करके ले जाते हैं फिर उसे दूसरी सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच में जरुरतमंदों के बीच बांट देते हैं।
यंग लीडर्स अवार्ड से सम्मानित
आपको बता दें कि अंकित के इस काम को संयुक्त राष्ट्र ने यूएन युवा नेतृत्व के औपचारिक दल में शामिल किया है। अंकित को बकिंघम पैलेस में आयोजित एक समारोह में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा वर्ष 2017 के लिए यंग लीडर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
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