इन मंदिरों में जाने से डरते हैं भूत

0

भारत को मंदिरों का भी देश कहा जाता है। यहां के मंदिर अपने शिल्प कला के साथ-साथ चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको देश में स्थित ऐसे पांच मंदिरों के बारे में बताएंगे, जिनके को देख कर लोग चौक जाते हैं और इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। इन मंदिरों की महिमा भी अनोखी है। कहा जाता है कि इन मंदिरों में भूत प्रवेश नहीं कर सकते हैं और लोग वहां भूत भगाने के लिए जाते हैं।

भानगढ़ का मंदिर

यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ महल के अंदर एक बना हुआ है। भानगढ़ राजा मानसिंह के भाई माधोसिंह की राजधानी थी। यह मंदिर अपनी अजीबो-गरीब कहानियों के लिए कुख्‍यात है। यहां कहानियां प्रचलित हैं कि इस महल में रहने वाली रानी से एक तांत्रिक बहुत प्रेम करता था। जब रानी ने उसके प्रेम को इंकार किया तो तांत्रिक ने पूरे महल को बदल दिया। आज भी म‍हल में इत्र की खुशबू आती है। मंदिर में कोई पूजा नहीं करता है पर वहां हमेशा फूल होते हैं।

मलाजपुर मंदिर

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में हर साल श्राद्ध पक्ष की अमावस्या की रात नर्मदा किनारे भूतों का मेला लगता है। इस मेले को शौकिया देखने पहुंचने वाले लोगों के डर के मारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मलाजपुर के बाबा के समाधि स्थल के आस-पास के पेड़ों की झुकी डालियां उलटे लटके भूत-प्रेत की याद ताजा करवा देती हैं। माना जाता है कि जिस भी प्रेत बाधा से पीड़ित व्यक्ति को छोड़ने के बाद उसके शरीर के अंदर से प्रेत बाबा की समाधि के एक दो चक्कर लगाने के बाद अपने आप उसके शरीर से निकल कर पास के किसी भी पेड़ पर उलटा लटक जाता है।

बैतूल का मंदिर

मध्य प्रदेश के बैतूल में स्थित इस मंदिर की भी अपनी अनोखी कहानियां हैं। अमावस्‍या और पूर्णिमा की रात को यहां भूतों को भगाने की रस्‍म निभाई जाती है। जिन लोगों के शरीर में आत्‍माओं का वास होता है, वो यहां आते हैं। यहां लोगों को खंभों से बांध दिया जाता है।

शारदा माता मंदिर

मध्य प्रदेश के सतना जिले में भी 1063 सीढ़ियां लांघ कर माता के दर्शन करने जाते हैं। अल्हा और उदल शारदा माता के बड़े भक्त हुआ करते थे। इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था। मान्यता है कि माता शारदा के दर्शन हर दिन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं।

बालाजी महराज

बालाजी महाराज के अलावा यहां श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल कप्तान भैरव की मूर्तियां भी हैं। प्रेतराज सरकार जहां दंडाधिकारी के पद पर आसीन हैं। वहीं, भैरव जी कोतवाल के पद पर। यहां आने पर ही मालूम चलता है कि भूत और प्रेत किस तरह से मनुष्य को परेशान करते हैं। दुखी व्यक्ति मंदिर में आकर तीनों देवगणों को प्रसाद चढाना पड़ता है। बालाजी को लड्डू प्रेतराज सरकार को चावल और कोतवाल कप्तान भैरव को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद में से दो लड्डू रोगी को खिलाए जाते हैं।

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More