श्रीकाशी विश्ववनाथ दरबार में इसी तिथि को होती है नंदी की विशेष पूजा
संगीत समारोह में नामचीन कलाकर देते हैं प्रस्तुीति, बाबा के दरबार में बहती है सुर-सरिता
वाराणसी में शास्त्रीय संदर्भों से धर्मसम्मत आराधना परंपरा के अनुपालन में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में नंदी की प्रत्येक प्रदोष तिथि पर विशेष पूजा की जाती है. एकादश अर्चकों द्वारा विधिपूर्वक आराधना संपन्न की जाती है. इसमें महादेव के भक्तों की सहभागिता रहती है. संगीत समारोह में नामचीन कलाकार प्रस्तुति देते हैं. बाबा दरबार में सुरों की सरिता बहती है. सनातन नवाचारों के क्रम में अगली प्रदोष तिथि 05 मई को है. इस दिन एकादश अर्चकों द्वारा संपादित आराधना वृहद स्तर पर महादेव के श्रद्धालुओं की व्यापक सहभागिता के साथ समारोहपूर्वक आयोजित की जाएगी. सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन संध्या ‘शिवार्चनम‘ का निरंतर आयोजन प्रत्येक प्रदोष तिथि पर किया जा रहा है. भव्य नंदी आराधना के साथ मंदिर परिसर से सनातन उत्सव शिवार्चनम संगीत समारोह प्रारंभ होगा. यह विराट आयोजन प्रत्येक प्रदोष तिथि पर आयोजित किए जाएंगे. श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास सभी शिवभक्तों को इस विराट उत्सव का साक्षी एवं सहभागी होने के लिए ससम्मान आमंत्रित भी कर रहा है.
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नंदी ही पहुंचाते हैं महादेव तक भक्तों की प्रार्थना
नंदीश्वर पूजा का महत्व हमारे वेदों और शास्त्रों में बहुत ही विशेष बताया गया है. हम जो भी प्रार्थना भगवान से करते है वो नंदीश्वर ही भगवान तक पहुंचाते है. इसलिए नंदी भगवान का पंचामृत से रुद्र सूक्त द्वारा अभिषेक और पूजा करके नंदी भगवान को प्रसन्न किया जाता है. नंदी आराधना से भक्त का मन स्थिर रहता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि प्रदोष काल में प्रथम पूजन नंदी भगवान का करना चाहिए. इस से भगवान शिव भी प्रसन्न होते है.
ऋषि शिलाद के पुत्र ही कहलाए शिव के परम भक्तइ नंदी
ऋषि शिलाद के पुत्र ही नंदी कहलाए जो भगवान शिव के परम भक्त, गणों में सर्वोत्तम और महादेव के वाहन बने. भगवान शिव ने नंदी की भक्ति से प्रसन्न हो कर प्रत्येक शिव मंदिर में नंदी की प्रतिमा होने का वरदान भी दिया था. यही कारण है कि बिना नंदी के दर्शन और उनकी पूजा किए भगवान शिव की पूजा अपूर्ण मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि जब नंदी को शिवलिंग के समक्ष स्थापित होने का वरदान मिला तो वह तुरंत भगवान शिव के सामने बैठ गए. तब से ही प्रत्येक शिव मंदिर के सम्मुख नंदी की प्रतिमा देखने को मिलती है.
बाबा दरबार में स्थापित हुई दक्षिणमुखी मूंगे वाले हनुमान की प्रतिमा
बाबा दरबार में शनिवार को विरूथनी एकादशी के पवित्र अवसर पर विधि-विधान सहित पूजा अर्चना कर पुतलीबाई मंदिर स्थित मूंगे वाले हनुमान को दक्षिणमुखी स्वरूप में नव निर्मित विशेष मंदिर में स्थापित किया गया. यह कार्य कर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास समस्त सनातन मातानुयायी श्रद्धालुओं की भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया है. सुझाव एवं सकारात्मक प्रस्ताव को स्वीाकार करते हुए न्यास ने यह कार्य किया.