अब खुद बनाएं बिजली और बेचें भी

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यह तय है कि आने वाला समय अब सौर ऊर्जा का ही होगा। भविष्य को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सौर ऊर्जा से बिजली के उत्पादन, उपभोग और बेचने तक का विकल्प मुहैया कर दिया है। लिहाजा, बड़ी तेजी लोग अपने छतों पर ही बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। दिल्ली में सोलर पैनल के जरिए बिजली का उत्पादन कर उसे ग्रिड के माध्यम से बेचा जा सकता है। दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येन्द्र जैन ने रूफटॉप सोलर पॉलिसी को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने की जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी निजी मकान मालिक अपनी छत पर स्वयं या किसी वेंडर से सोलर पैनल लगवाकर बिजली का उत्पादन और उपभोग कर सकेगा।

मकान मालिकों को जोड़ने का प्रावधान

दिल्ली सरकार की सौर ऊर्जा नीति में सभी तरह के मकान मालिकों को जोड़ने का प्रावधान किया गया है। अगर आप अपार्टमेंट में रहते हैं, तो सभी मिलकर सोलर प्लांट लगा सकते हैं। जिसकी लंबाई एक मीटर होगा, जिसमें उत्पादन के हिसाब से जो राशि बनेगी, उसे सभी मकान मालिकों के बिजली बिल में वापस कर दिया जाएगा। अगर खर्च से ज्यादा बिजली उत्पादन हुआ तो वह बिजली बेच दी जाएगी और पैसे उत्पादनकर्ता को मिलेंगे।

30 से 40 साल तक रहें निश्चिंत

सोलरपावर प्लांट लगाने के बाद अपनी जरूरत की बिजली खुद ही सूरज से ले सकेंगे। एक बार पावर प्लांट लगाने पर ही जो खर्च आएगा। इसके बाद 40 साल से अधिक सिस्टम काम करेगा। जानकारों का मानना है कि लागत 10 वर्षों में पूरी हो जाएगी। सर्दियों में एक घर में बिजली के लिए सौर ऊर्जा का दो किलोवाट का प्लांट ही काफी है। दो किलोवाट पर करीब तीन लाख खर्च आएगा। गर्मियों में एसी आदि चलाने पड़ते हैं। ऐसे में पांच किलोवाट के सोलर प्लांट की जरूरत पड़ेगी। जिस पर करीब पांच से छह लाख रुपए खर्च आएगा।

क्या है नियम?

दिल्ली सरकार के पॉलिसी के तहत सोलर पैनल लगवाने के दो मॉडल उपलब्ध होंगे। पहला रेस्क्यू मॉडल और दूसरा कैपिटल मॉडल।

रेस्क्यू मॉडल: रेस्क्यू मॉडल के तहत आपको सिर्फ निजी सोलर वैंडर को छत मुहैया कराकर सोलर पैनल लगवाने होंगे। जिसके बाद रखरखाव की जिम्मेदारी वेंडर की होगी। मकान मालिक को सिर्फ सरकार द्वारा तय दर पर वेंडर से बिजली खरीदनी पड़ेगी।

कैपिटल मॉडल: इस मॉडल में मकान मालिक को सरकार द्वारा सूचीबद्ध वेंडर से सौर ऊर्जा संयत्र लगवाना होगा। इसके बाद इसके रखरखाव की जिम्मेदारी आपकी होगी और इससे उत्पन्न बिजली मकान मालिक को मुफ्त में मिलेगा। शेष बिजली ग्रिड में जाएगी, जो नेट मीटरिंग के जरिए बेची जा सकेगी। अतिरिक्त मात्रा को बिजली के बिल में शामिल किया जाएगा।

सरकारी इमारतों के लिए अनिवार्य

ऊर्जा मंत्री के मुताबिक नई बनने वाली सरकारी इमारतों में रूफटॉप सोलर पैनल लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि पुरानी सरकारी इमारतों को सौर ऊर्जा से युक्त करने के लिए नीति में शामिल किए गए दोनों मॉडल के माध्यम से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा।

ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी

सोसाइटी में रहने वालों के लिए वर्चुअल नेट मीटरिंग की व्यवस्था की गई है। सारे सोसाइटी को मिलकर सोलर सिस्टम लगाना होगा। जिसमें हाउसिंह सोसाइटी के सभी घरों को बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी। इसमें सोसाइटी के रूफटॉप एरिया के आधार पर सौर ऊर्जा के उत्पादन को बिजली के उपयोग के साथ शामिल कर बिलिंग की जाएगी। नीति में ऐसे भवन मालिकों के लिए ग्रुप नेट मीटरिंग की व्यवस्था की गई है, जिनके एक से अधिक मकान है या जो लोग फार्म हाउस अथवा संयुक्त परिवार में एक ही परिसर में, लेकिन अलग-अलग मकानों में रहते हैं। ऐसे परिवार में एक ही मीटर के जरिए कई मकानों की छत से सौर ऊर्जा का उत्पादन और बिक्री कर सकेंगे।

बिल में छूट देने की योजना

किसी निजी व्यक्ति या समूह को 200 किलोवाट तक के सोलर सिस्टम को लगाने के लिए सरकार से निरीक्षण कराने या किसी तरह की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए स्वत: सत्यापन ही काफी है। इसके अलावा अगर आप छत पर 2 मीटर की ऊंचाई वाले स्टैंड पर सोलर पैनल लगवाएं गए हैं तो छत को कवर्ड एरिया में नहीं मापा जाएगा। सरकार ने सौर ऊर्जा का उत्पादन करने पर बिल में छूट देने की योजना बनाई है। घरेलू उपभोक्ताओं को पहले 3 साल तक 2 रुपये प्रति यूनिट से छूट देने की व्यवस्था है।

क्या है कीमत?

दिल्ली सरकार ने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाने का रास्ता तो साफ कर दिया है, लेकिन आम आदमी के लिए अभी यह बहुत मुश्किल है। क्योंकि इसके लिए मकान के आकार के हिसाब से चार से 12 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। सामान्य घर में पांच किलोवाट के सिस्टम की जरूरत होती है। इसमें एक गीजर, एक ऐसी, तीन पंखे, तीन लाइट और दो रूम हीटर चलाए जा सकते हैं।

1 से 10 किलोवाट

एक किलोवाट के सोलर सिस्टम की कीमत लगभग 90 हजार रुपये हैं। वन बीएचके मकान के लिए 2.5-3.5 किलोवाट सोलर सिस्टम की जरूरत होगी, जिसकी कीमत 4 लाख रुपये पड़ेगी। जबकि टू बीएचके मकान के लिए 5.5-6.5 किलोवाट के सिस्टम की जरूरत पड़ेगी जिसकी कीमत 7,00,000 रुपये है। थ्री बीएचके क्षमता वाले मकान के लिए 10 किलोवाट से अधिक की मांग रहती है जिसकी कीमत लगभग 12,00,000 रुपये है।

इन बातों का रखें ख्याल

मकान पर सोलर सिस्टम लगवाने से पहले इन निम्न बातों का ख्याल रखना पड़ेगा। जैसे- आपका छत मजबूत और सोलर पैनल का बोझ सह सकने में सक्षम होना चाहिए और छत पर पेड़ों या अन्य मकानों की छाया कम से कम होगी चाहिए। इसके अलावा अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों से ही पैनल खरीदें और कंपनियों से पूछें कि क्या वह देखरेख कर सकने में सक्षम है। इस योजना में ऊर्जा मंत्रालय आपको तीस फीसदी की सब्सिडी प्रदान करेगा। केंद्र सरकार का भी लक्ष्य है कि 2022 तक सोलर पैनल से एक लाख मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाए।

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