सूर्यग्रह वृषभ से मिथुन राशि में
★ सूर्यग्रह के राशि परिवर्तन का दिखेगा विश्वपटल पर विशेष प्रभाव
★ सूर्य का मिथुन राशि में बनेगा चतुर्ग्रही योग
★ अप्रत्याशित घटनाओं से होगा जनमानस रूबरू
भारतीय ज्योतिष में सूर्यग्रह का नवग्रहों में प्रमुख स्थान है। सूर्यग्रह के राशि परिवर्तन का प्रभाव व्यापक रूप से देखने को मिलता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष राशि से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका असर पूरे विश्वपटल पर पड़ता है। प्रख्यात ज्योतिर्विद् विमल जैन ने बताया कि सूर्यग्रह वृषभ से मिथुन राशि में 14 जून, रविवार की रात्रि 11 बजकर 54 मिनट पर प्रवेश कर गए हैं जो कि इसी राशि में 16 जुलाई, गुरुवार को दिन में 10 बजकर 47 मिनट तक रहेंगे। एक माह की यह अवधि मिथुन संक्रान्ति के नाम से जानी जाएगी।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि मिथुन राशि में चन्द्र, सूर्य, बुध एवं राहु ग्रह की उपस्थिति से चतुर्ग्रही योग बन रहा है। शनिग्रह अपनी स्वराशि मकर में है। मीन राशि में मंगल, वृष में शक्र एवं धन राशि में केतु रहेंगे। जिसके फलस्वरूप विश्व पटल अनेकानेक अप्रत्याशित घटनाओं से जनमानस को रूबरू होना पडेगा। विश्व में राजनैतिक उथल-पथल रहेगी इसके साथ ही राजनैतिक में नये समीकरण भी बनेंगे।
सत्तापक्ष व विपक्ष में किसी मुद्दे विशेष को लेकर वैचारिक विषमता देखने को मिलेगी। कहीं-कहीं पर राजनैतिक अस्थिरता बनी रहेगी। धार्मिक गतिविधियों को लेकर भी लोग जागरूक रहेंगे। शेयर, वायदा व धातु बाजार में विशेष घटा-बढ़ी के साथ मलेगा। नए राजनैतिक व आर्थिक घोटाले भी सामने आएंगे। सीमा पर तनाव भी बढ़ेगा। ज्योतिर्विद श्री विमल जैन ने बताया कि ग्रहों की चाल का असर द्वादश राशियों पर भी दिखेगा।
★ मेष- आर्थिक व्यावसायिक पक्ष में उन्नति। घरेलू समस्याओं का सन्तोषजनक समाधान। इच्छित पद की प्राप्ति का व्यवधान समाप्त।
★ वृषभ- व्यवसाय में विफलता। पारिवारिक कठिनाइयों से मन अशान्त । गलतफहमी के शिकार। प्रियजनों से असहयोग।
★ मिथुन- संकल्प-विकल्प से मन व्यथित। आत्मीयजनों से अपेक्षित सहयोग। सम्बन्धों में कटुता। व्यर्थ भ्रमण। उन्नति में बाधा।
★ कर्क- लाभप्रद योजना अधरी। अकेलेपन की अनभति । बने-बनाए कार्यों में विलम्ब । मानसिक तनाव। प्रगति का प्रयास निष्फल।
★ सिंह- नवीन योजना का श्रीगणेश। व्यवसाय में विस्तार हेत विचार-विमर्श। विवादास्पद मसला सलझने की ओर। जीवन साथी से सामंजस्य।
★ कन्या- पूंजी का प्रतिफल प्राप्त। पराक्रम से कार्य-सिद्धि। श्रेष्ठजनों से सम्पर्क। शुभ भावनाओं से आत्मिक शांति। गलतफहमियां दूर।
★ तुला- प्रेम सम्बन्धों में कटुता। अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करने से वंचित। आत्मविश्वास में कमी का अहसास। वाहन से भय।
★ वृश्चिक- आर्थिक लेनदेन में नुकसान। वरिष्ठजनों की सलाह अमान्य। आय की तुलना में व्यय अधिक। जोखिम से नुकसान।
★ धनु- आरोग्य सुख में कमी। कर्ज से परेशानी। संकल्प-विकल्प की स्थिति। विशेष प्रयास असफल। परिजनों से मन-मुटाव।
★ मकर- नवयोजना पर कार्य आरम्भ। अपने स्तर को बनाये रखने के लिए अधिक खर्च । घरेलू समस्याओं का निराकरण।
★ कुम्भ- मानसिक अशांति। शत्रु प्रभावी। विशेष प्रयास व्यर्थ। निजी प्रतिभा का सदुपयोग करने से वंचित। यात्रा में असुविधा। में कमी।
★ मीन- क्रोध की अधिकता। धर्म के प्रति अरुचि। योजनाओं की शरुआत में व्यवधान । विवाद की आशंका।
विशेष-
सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के साथ सूर्यग्रह की भी आराधना नियमित करनी ध्यान के पश्चात सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में स्वच्छ जल में लाल फल, रोली, गुड या चीनी मिलाकर पर्व दिशा की ओर मख करके अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप श्री आदित्य हृदय सूर्य सहस्त्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए।
रविवार के दिन 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए। रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएं जैसे-लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएं नगद दक्षिणा सहित चरित्रवान ब्राह्मण को संकल्प के साथ देना चाहिए।
[bs-quote quote=”हस्तरेखा विशेषज्ञ, रत्न-परामर्शदाता, फलित अंक ज्योतिषी एवं वास्तविद्।” style=”style-13″ align=”center” author_name=”विमल जैन “][/bs-quote]
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