अब ‘माया’ के आशियाने पर शिवपाल का राज!
कभी सपा के कद्दावर नेता रहे और समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के संरक्षण को भाजपा सरकार की तरफ से तोहफा मिला है। लगातार सपा पर एक के बाद एक जवाबी हमला करना और विरोध करना शिवपाल (shivpal) के लिए फायदे के चीज साबित हुआ है। शिवपाल यादव को भाजपा ने मायावती का लखनऊ स्थित पूर्व कार्यालय 6 एलबीएस बंगले को शिवपाल यादव को अलॉट किया गया है।
इसमें अब समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का कार्यालय बनेगा। अब से मायावती के बंगले में सपा के संरक्षक शिवपाल यादव रहेंगे। मायावती का बंगला शिवपाल को शुक्रवार को आवंटित कर दिया गया है। इसके बाद उन्होंने बंगले का निरीक्षण किया। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगला खाली करने के आदेश दिए थे।
आशियाना बचाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा दिया था
इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में अच्छा खासा घमासान मच गया था। बसपा सुप्रीमो ने मॉलएवेन्यू 13 स्थित अपना आशियाना बचाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा दिया था।सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद मायावती की मंशा शायद बंगला छोड़ने की नहीं थी इसलिए उन्होंने बंगले का नाम बदलकर कांशीराम विश्रामालय का बोर्ड लगा दिया था।
आखिरकार उन्हें बंगला खाली करना पड़ा गया था
ये बोर्ड माया का बंगला बचाने के लिए खेला गया दांव था। माया ने बंगले को बचाने के लिए बाहर श्री कांशीराम जी यादगार विश्रामालय स्थल नाम का बोर्ड लगा दिया था। मायावती ने बंगला बचाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से बात की थी। यहां तक कि उनका बंगला किसी को न दिया जाए इसलिए मायावती ने उस बंगले को कांशीराम विश्राम स्थल का बोर्ड लगा कर भी दांव खेला था, लेकिन उनकी एक न चली। आखिरकार उन्हें बंगला खाली करना पड़ा गया था।
योगी सरकार ने किया था विचार
योगी सरकार मायावती के सरकारी बंगले को कांशीराम मेमोरियल बनाने पर विचार किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मायावती ने सरकारी आवास को खाली करते हुए मांग की थी कि योगी सरकार इसे बीएसपी के संस्थापक कांशीराम का स्मारक घोषित करे।
इससे पहले मायावती ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक विरोध-पत्र भेजते हुए अपने कार्यकाल के दौरान लिए गए कैबिनेट के फैसले और सरकारी आदेशों की जानकारी दी थी। इसमें कांशीराम मेमोरियल पर लिया गया निर्णय भी शामिल था। मायावती ने इस पत्र में कांशीराम के स्मारक की देखरेख के लिए अपने पार्टी का डर को तैनात करने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन फिर बाद में सरकार ने अपना इरादा बदल दिया था।
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