सिद्धारमैया ने दूसरी बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

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वाराणसी। कर्नाटक में मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण को लेकर चल रही सियासी उठापटक का आज पटाक्षेप हुआ। कर्नाटक की सियासत में पार्टी और जनता के बीच में लोकप्रिय व कद्दावर छवि के नेता सिद्धारमैया ने आज दोपहर में मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। राज्यपाल थावरचंद गहलोत के साथ-साथ डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और 8 विधायकों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। जिनमें विधायक सतीश जरकीहोली, डॉ. जी. परमेश्वर, केएच मुनियप्पा, केजे जॉर्ज और एमबी पाटिल ने नव-निर्वाचित कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ ली।

शपथ ग्रहण के दौरान मौजूद रहे कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी

बेंगलुरु में नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए।

कौन है सिद्धारमैया और उनकी राजनीतिक पारी

मैसूर जिले के एक गांव में जन्मे सिद्धारमैया पेशे से वकील थे और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन मैसूर यूनिवर्सिटी से की। वहीं उनके शैक्षिक जीवन पर गौर करें तो सिद्धारमैया ने पहले बीएससी की पढ़ाई की और बाद में लॉ किया। कुछ दिनों तक वकालत करने बाद वकालत छोड़ सिद्धारमैया ने राजनीति में कदम रखा।सिद्धारमैया ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1983 कर्नाटक के चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट से की। जहां से जीतकर वो पहली बार कर्नाटक विधानसभा का हिस्सा बने। उल्लेखनीय है कि सिद्धारमैया इसी सीट से कुल पांच बार चुनाव जीते और तीन बार हार का सामना किया।

1992 के दौर में सिद्धारमैया जनता दल के महासचिव के रूप में चुने गए। जिसके बाद 1994 में वे देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल सरकार में वित्त मंत्री बने और बाद में 1996 में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम किया। हालांकि, उन्हें 1999 में मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया जिसके बाद वे जनता दल (सेक्युलर) में शामिल हो गए। बहरहाल 2004 से लेकर 2005 तक कांग्रेस और जेडी (एस) की गठबंधन सरकार में वह दोबारा उपमुख्यमंत्री बने. हालांकि, 2005 में देवगौड़ा के साथ मतभेदों के बाद उन्हें जेडी (एस) से निकाल दिया गया। लिहाज़ा यहां से उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। साल 2006 से कांग्रेस में शुरू हुए उनकी यात्रा राज्य के सर्वोच्च पद पर ले गई। जिसके बाद वर्ष 2013 में वे राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए और वे इस पद पर 2018 तक बने रहे।

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