हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई श्रीखंड महादेव यात्रा, जानिए इस से जुड़ा इतिहास…
सावन के महीने में कांवड़िए अपने इष्ट देवता भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ते हैं. दुर्गम रास्ते और सभी मुश्किलों को झेलते हुए अपने भोले का जलाभिषेक करके ही उनकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है. देश भर में स्थित 12 ज्योर्तिंलिंगों के अलावा भगवान शिव के कुछ ऐसे चर्चित तीर्थस्थान भी हैं, जिनका पौराणिक महत्व सबसे ज्यादा है. इन्हीं में से एक है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की श्रीखंड महादेव जो कि कठिनतम धार्मिक यात्राओं में शुमार हैं ये यात्रा शुक्रवार 7 जुलाई से शुरू हो गई है. उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग ने पहले आधार शिविर सिंघगाड पहुंचकर सुबह 5:30 बजे पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना किया. 18,570 फीट ऊंचाई पर स्थित श्रीखंड महादेव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को कई ग्लेशियर पार कर दो दिन में 32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी. इतने ही दिन वापसी के लिए लगते हैं.यात्रा 20 जुलाई तक प्रशासन की देखरेख में चलेगी. अब तक यात्रा के लिए 5,000 श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन पंजीकरण करवाया है।
बीते दिन एक श्रद्धालु की मौत…
श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश के एक श्रद्धालु की मौत हो गई है. मृतक की पहचान अमर मोइन (33) के तौर पर हुई है. SDM निरमंड मनमोहन सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा. यह हादसा पहले बेस कैंप सिंहगाड़ से थाचडू की खड़ी चढ़ाई चढ़ते वक्त हुआ है। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी मौत का कारण हो सकती है।
सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में शुमार…
दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित धार्मिक स्थलों में से एक श्रीखंड महादेव का मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है. 18,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको 25 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी होगी. जो कि अपने आपमें सबसे बड़ी चुनौती है.अमरनाथ यात्रा के दौरान कई लोग यात्रा खत्म करने के लिए खच्चरों का सहारा लेते हैं.लेकिन श्रीखंड महादेव की यात्रा में कोई खच्चर, घोड़ा या पालकी नहीं जा सकती है. इसके साथ ही, अमरनाथ की चढ़ाई लगभग 13 हजार फीट है, लेकिन श्रीखंड महादेव की चढ़ाई 18 हजार फीट से भी ज्यादा है. श्रीखंड महादेव पहुंचने के रास्ते में कई श्रृद्धालुओं की मौत तक हो जाती है. और जो सही सलामत दर्शन कर पाता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रीखंड के रास्ते में अनेकों धार्मिक स्थल…
बता दे कि श्रीखंड महादेव पहुंचने के रास्ते में आपको करीब एक दर्जन धार्मिक स्थल और देव शिलाएं मिलेंगी.श्रीखंड महादेव एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं। यहां पर आने से करीब 50 मीटर पहले ही माता पार्वती, भगवान गणेश और स्वामी कार्तिक की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। वहीं रास्ते में प्राकृतिक शिव गुफा, निरमंड में सात मंदिर, जावों में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड़, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि धार्मिक स्थल हैं।
श्रीखंड महादेव का इतिहास…
यात्रा का इतिहास काफी साल पुराना है. इतिहास देवों के देव महादेव से जुड़ा हुआ है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के रहने वाले लोग बताते हैं. कि यही वह स्थान है जहां भस्मासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या करके शिव से वरदान प्राप्त किया था कि वह जिस पर भी अपना हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। फिर उसके मन में पाप आ गया और वह माता पार्वती से विवाह करने के बारे सोचने लगा और वह भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें नष्ट करना चाहता था. मगर भगवान विष्णु सब समझ गए. उन्होंने माता पार्वती का रूप धारण करके भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने के लिए राजी किया. नृत्य करते हुए भस्मासुर ने खुद के ही सिर पर हाथ रख लिया और वह भस्म हो गया. बताते हैं कि आज भी यहां की मिट्टी और पानी लाल दिखाई देते हैं।
कैसे पहुंचा जाता है श्रीखंड महादेव…
श्रीखंड महादेव हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के निरमंड में है. जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह स्थान भी महादेव (शिव) से जुड़ा है. हर बार सावन के माह में ये विशेष यात्रा शुरू होती है. श्रीखंड महादेव जाने का रास्ता बेहद दुर्गम है, यात्रा में पहुंचने के कई तरीके हैं. शिमला के रामपुर से कुल्लू के निरमंड होकर बागीपुल व जाओं तक कार व बस से जा सकते हैं. इसके बाद, 35 किलोमीटर की दूरी पैदल तय कर श्रीखंड महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की श्रीखंड महादेव यात्रा कठिनतम धार्मिक यात्राओं में शुमार है. महादेव के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को कई ग्लेशियर पार कर दो दिन में 32 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी होगी. इतने ही दिन वापसी के लिए लगते हैं
यात्रा को सुलभ के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत..
श्रीखंड महादेव यात्रा को सुलभ बनाने के लिए पिछले नौ सालों से श्रीखंड ट्रस्ट समिति एवं जिला प्रशासन लगातार प्रयासरत है. एसडीएम निरमंड एवं श्रीखंड ट्रस्ट समिति के उपाध्यक्ष मनमोहन सिंह ने श्रीखंड महादेव यात्रा को पांच सेक्टरों में बांटा गया है. इसमें 100 से अधिक कर्मचारियों के साथ ही बचाव टीमें भी तैनात रहेंगी. पहले बेस कैंप सिंघगाड़ में 40 कर्मचारी तैनात किए गए हैं. यहां प्रतिदिन सुबह 5:00 से शाम 7:00 बजे तक श्रद्धालुओं का पंजीकरण और फिटनेस जांची जाएगी. यहां से शाम चार बजे तक ही श्रद्धालुओं का जत्थों यात्रा के लिए रवाना किया जाएगा।
ऑक्सीजन की पड़ जाती कमी…
समुद्रतल से 18,570 ऊंचाई पर होने की वजह से कई बार यहां ऑक्सीजन की भी कम हो जाती है। इसलिए श्रीखंड महादेव की 32 किलोमीटर की पैदल यात्रा हर व्यक्ति नहीं कर पाता। इस बार 15 मई तक बर्फ गिरती रही है। इससे यह यात्रा और चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए…
श्रीखंड यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की जांच के भी पुख्ता इंतजाम किए गए है. बेस कैंप सिंहगाड़ में 3 डॉक्टर 2 फार्मासिस्ट और 1 क्लास फोर कर्मचारी तैनात किया गया है. अन्य 4 बेस कैंपों में 2 डॉक्टर, 1 फार्मासिस्ट और एक क्लास फोर स्वास्थ्य कर्मी तैनात किया है. इसी तरह प्रत्येक बेस कैंप पर 4-4 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। हर बेस कैंप में स्थानीय प्रशिक्षु रेस्क्यू दल के 7-7 युवक भी तैनात किए गए हैं।
श्रीखंड यात्रा के दौरान जरूरी हिदायतें…
वर्ष 2014 से श्रीखंड यात्रा के दौरान सेवाएं देने वाले डॉक्टर यशपाल राणा ने बताया कि पार्वती बाग से ऊपर कई यात्रियों को ऑक्सीजन की कमी के चलते तबीयत बिगड़ने लगती है। ऐसे यात्री जिनको ऑक्सीजन की कमी महसूस हो, ज्यादा सांस फूलना, सिरदर्द होना, चढ़ाई न चढ़ पाना, उल्टी की शिकायत होना, धुंधला दिखना और चक्कर आना जैसे लक्षण आना शुरू हो तो ऐसे यात्री तुरंत आराम करें और नीचे की ओर उतरकर बेसकैंप में चिकित्सक से संपर्क करें. यात्री अपने साथ एक पक्का डंडा, ग्रिप वाले जूते, बरसाती छाता, सूखे मेवे, गर्म कपडे़, टॉर्च और ग्लूकोज लेकर जरूर आएं। कठिन और जोखिम भरी श्रीखंड महादेव यात्रा को 2014 से ट्रस्ट के अधीन किया गया है। जिला प्रशासन की ओर से प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद नौ सालों में करीब 32 श्रद्धालु इस कठिनतम यात्रा में अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में प्रशासन के लिए भी यह यात्रा किसी चुनौती से कम नहीं हैं।
ऑफलाइन पंजीकरण भी शुरू
यात्रा के लिए शुक्रवार तक ऑनलाइन पंजीकरण करवाया जा रहा था. अब ऑफलाइन भी शुरू कर दिया है. इसके लिए श्रद्धालुओं को 250 रुपए का शुल्क देना होगा. अब तक 4 हजार से ज्यादा लोग पंजीकरण करवा चुके हैं।
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