नेता जी के कहने पर ही सेक्युलर मोर्चा बनाया : शिवपाल
समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल यादव ने ‘समाजवादी सेकुलर मोर्चा’ का गठन करने के बाद नया बयान देकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव से पूछकर समाजवादी सेकुलर मोर्चे का गठन किया है। नेताजी ही उनके लिए सबकुछ हैं। शिवपाल के इस बयान के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं।
समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का फैसला किया है
समाजवादी सेकुलर मोर्चा गठन के बाद शिवपाल यादव बुधवार को इटावा में नेशनल हाईवे पर एक रेस्टोरेंट के उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि काफी इंतजार करने के बाद नेताजी से पूछकर समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का फैसला किया है।
2022 में उत्तर प्रदेश में सेकुलर मोर्चा की सरकार होगी
शिवपाल ने दावा किया कि 2019 में सेकुलर मोर्चा के बिना कोई सरकार नहीं बनेगी। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि 2022 में उत्तर प्रदेश में सेकुलर मोर्चा की सरकार होगी।
प्रदेश कार्यकारिणी गठन करने की बात कही
समाजवादी पार्टी से साइड लाइन किए नेताओं से उन्होंने कहा कि रुठे हुए लोगों के सम्मान के लिए मोर्चा बनाया गया है। शिवपाल यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चा को मजबूत कर जल्द ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी और प्रदेश कार्यकारिणी गठन करने की बात कही।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में जल्द ही जिला अध्यक्ष नियुक्त किए जाएंगे। हमारा लक्ष्य है 2019 में हमारे बगैर कोई सरकार न बने। इसके बाद 2019 और 2022 में सेक्युलर मोर्चे की सरकार बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे।
1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष
शिवपाल ने अपना राजनीतिक सफर अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव की उंगली पकड़कर आगे बढ़े हैं। उन्होंने पहला चुनाव जिला सहकारी बैंक का लड़ा। 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गए।1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे।
विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते
इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। इसके बाद जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसके बाद मुलायम सरकार से लेकर अखिलेश सरकार में मंत्री रहे। 2007 से 2012 तक विपक्ष के नेता का पद भी संभाला।
अखिलेश और शिवपाल के बीच रिश्तों में खटास 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुई। इसके बाद अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। इसके बाद चाचा-भतीजे के बीच संबंध इस कदर खराब हुए कि उन्होंने सपा से अलग समाजवादी सेकुलर मोर्चा बनाने का फैसला किया।साभार
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