श्रीराम की अयोध्या के साथ दीपों से जगमग होगी शिव की नगरी काशी

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अयोध्या में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव के साथ भूत भावन भगवान शिव शंकर की नगरी काशी में भी यादगार उत्सवी माहौल होगा. काशी के सनातनधर्मियों के घरों से लेकर गंगा के तट 15 लाख दीपों से जगमग होंगे. इसके साथ ही काशी में 15दिवसीय उत्सव के साथ एक बार फिर देव दीपावली जैसा नजारा होगा. इसकी पूरी तैयारी की जा रही है.

तैयारी है कि देव दीपावली की तर्ज पर घरों, मंदिरों और घाटों का सजाया जाएगा. अतिथियों को आमंत्रित करने के साथ ही 22 जनवरी की तिथि यादगार बनाने की तैयारियां हो रही हैं. 15 से 22 जनवरी तक यहां भी उत्सवी माहौल की व्यवस्था की जा रही है.

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राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों को आमंत्रित करने की है तैयारी

राष्ट्रीय स्वयं सेवक और उनके अनुषांगिक संगठनों को काशी के संतों, पद्म और पद्मभूषण सम्मान प्राप्त और रामजन्मभूमि आंदोलन से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष जुड़े लोगों को आमंत्रित करने की जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. फिलहाल काशी से 150 लोगों की सूची तैयार कर उनको आमंत्रण भेजे जाने लगे हैं. इसमें 70 महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, साधु, संत व सन्यासी के साथ ही शहर के विशिष्टजनों को आमंत्रित किया गया है. खरमास समाप्त होने के बाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजन काशी में भी होने लगेंगे. इसके लिए सामाजिक, धार्मिक और हिंदूवादी संगठनों ने सम्पर्क किया जा रहा है. सामाजिक संगठनों की ओर से शोभायात्राएं भी निकाली जाएंगी.

घर-घर में गूंजेगा भगवान श्रीराम का नारा

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि काशी के हर घर में सनातनियों के आराध्य भगवान श्रीराम का नाम गूंजेगा. यहां भी 15 दिनों तक उत्सवी माहौल रहेगा. सभी मंदिरों को सजाया जाएगा और रामायण के पाठ होंगे. इसके अलावा राम नगरी और शिव की काशी का आध्यात्मिक नाता बहुत पुराना है. अब यह नाता और भी प्रगाढ़ होने जा रहा है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले राघव के परिसर में काशी में तैयार लंकाधिपति रावण का परिवार विराजमान होगा. अयोध्या के संग्रहालय में लकड़ी के पात्रों से निर्मित रामायण के पात्रों को जीवंत किया जाएगा.

लंकापति रावण और परिवार भी होगा विराजमान

संग्रहालय में बिस्तर पर लेटे कुंभकरण की ढाई फीट की लकड़ी की मूर्ति सबसे पहले स्थापित होगी. इसके बाद लंकापति और मेघनाथ के मुखौटे लगाए जाएंगे. प्राण प्रतिष्ठा से पहले काशी से रामदरबार को अयोध्या भेजा जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान संग्रहालय में इन्हें विराजमान कराया जाएगा. श्रीराम चरित मानस के पात्रों के मुखौटे और मूर्तियों को 15 दिसम्बर से आयोध्या भेजा जाने लगेगा. इनमें कुम्भकर्ण की सबसे बड़ी प्रतिमा होगी. इन मूर्तियों को काष्ठकला के कलाकार बिहारी लाल वह सहयोगियों ने तैयार किया है. लंकापति रावण की भी प्रतिमा होगी.

 

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