शारदीय नवरात्रि का आज से शुभारंभ, जानें इसके नियम और महत्व…
शारदीय नवरात्रि की आज से शुभारंभ होने जा रहा है, इस साल शारदीय नवरात्रि 03 अक्टूबर से लेकर 11 अक्टूबर तक चलने वाला है. हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाला है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा पूरे विधि–विधान से की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापित कर दुर्गा मां का आह्वान किया जाता है. फिर पूरे नौ दिनों तक भक्तिपूर्वक उनके नव स्वरूपों की पूजा की जाती है.
नवरात्रि में 9 दिन की निरंतर ज्योति भी जलाई जाती है. वहीं कुछ श्रद्धालु दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों का उपवास भी करते हैं. नवरात्रि का पहला नवरात्र मां शैलपुत्री को समर्पित होता है. इस दिन मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा की जाती है, जिससे जातक का मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसे में नवरात्रि से एक दिन पहले जानते हैं घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और स्थापना विधि…
नवरात्रि की तिथि
पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष आश्विन मास का शुक्ल पक्ष 3 अक्टूबर को 00:18 बजे शुरू होगी. यह तिथि 4 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 58 मिनट तक इसकी रहेगी. ऐसे में, उदयातिथि के अनुसार, इस वर्ष 3 अक्टूबर यानी गुरुवार से शारदीय नवरात्रि शुरू होगी.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त ?
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं. घट स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे 15 मिनट से 7 बजे 22 मिनट तक है और आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा. घट स्थापना दोपहर में भी अभिजीत मुहूर्त में होगी. माना जाता है कि यह मुहूर्त सबसे अच्छा है. इसके बाद दिन में 11 बजे 46 मिनट से 12 बजे 33 मिनट तक घट स्थापित कर सकते हैं. दोपहर में 47 मिनट का अच्छा समय रहेगा.
घट स्थापना की विधि
-नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा करने के साथ व्रत का निश्चय करें. गणेश जी को प्रणाम करके पूजा स्थान पर ईशान कोण में लकड़ी की एक चौकी रखें और कलश स्थापित करें.
-चौकी पर एक लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर धान या सप्त धान्य रखें और उस कलश के ऊपर रखें. उसके बाद कलश की गर्दन पर रक्षासूत्र लपेटे, उस पर तिलक लगाएं और कलश में गंगाजल और पानी डालें.
-इसके बाद कलश में अक्षत्, फूल, सुपारी, दूर्वा, हल्दी, चंदन, सिक्का और दूर्वा डालें. अब अशोक और आम के पत्ते कलश में डालें, फिर ढक्कन से कलश का मुख ढक दें.
-इसके बाद सूखे नारियल पर रक्षासू्र लपेटे और उस कलश को अक्षत से भर दें और उस पर नारियल रखें. इस प्रकार से आपकी कलश स्थापना हो जाएगी.
-कलश स्थापना के बाद वरुण देव और अन्य देवताओं की पूजा करें, दुर्गा माता की पूजा करें.फिर मां शैत्रपुत्री की पूजा करें, जो उनके प्रथम स्वरूप है.
-कलश के पास शुद्ध मिट्टी डालकर जौ डालें, फिर उस पर जल डालें. ताकि जौ उगने के लिए पर्याप्त नमी हो जाए यह जौ नवरात्र भर रहता है. यह जितना हरा भरा होगा, उतना ही आपका परिवार खुश और संपन्न होगा, ऐसी धार्मिक मान्यता कहती हैं.
शारदीय नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का त्यौहार चार बार पड़ते है, जिसमें माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विनी महीने में रखे जाते है. नवरात्रि के शुभारंभ से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरूआत होती है. इससे मन में उल्लास, उमंग और उत्साह की उन्नति होती है. दुनिया में सारी शक्ति, नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है. नवरात्रि के नौ दिनों में विभिन्न देवी स्वरूपों की पूजा की जाती है, हर रूप एक विशिष्ट वरदान देता है. साथ ही ग्रहों का अवरोध खत्म हो जाता है.
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पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
हर बार मां दुर्गा एक विशेष वाहन पर सवार होकर नवरात्रि में आगमन करती है, माता की सवारी भविष्य की घटनाओं का संकेत देने वाला होता है. ऐसे में इस बार मां दुर्गा पालकी में सवार होकर आ रही है. शास्त्रों के अनुसार, मां का पालकी में सवार होकर आना शुभ संकेत नहीं माना जाता है. कहते है कि, मां की यह सवारी आर्थिक मंदी, महामारी, युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं का संकेत देने वाली होती है, इसके अलावा लोगों के जीवन में व्यर्थ के विवाद और हादसे होने की संभावनाएं भी बनती है.
शारदीय नवरात्रि तिथियां
3 अक्टूबर 2024, गुरुवार मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि 4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि 5 अक्टूबर 2024, शनिवार मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि 6 अक्टूबर 2024, रविवार मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि 7 अक्टूबर 2024, सोमवार मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि 9 अक्टूबर 2024, बुधवार मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर 2024, गुरुवार मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण 12 अक्टूबर 2024, शनिवार मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)