शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना, संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी है।
इस दौरान देवी के प्रमुख नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी मां के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर स्वरुप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं।
दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-
ब्रह्मचारिणी मां की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली।
देवी ब्रह्मचारिणी कथा-
माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया।
तपस्या के फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की पत्नी बनी। जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें इस देवी की पूजा से सहज यह सब प्राप्त होता है।
जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है।
हरे रंग का वस्त्र करें धारण-
इस दिन के लिए हरा रंग होता है। इसीलिए नवरात्रि के दूसरे दिन किसी भी प्रकार का हरा रंग पहनें, लेकिन अगर गाढ़ा हरा रंग हो तो बेहतर है।
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