शर्मनाक: वाराणसी में तुलसी घाट से सीधे गंगा में गिर रहा है सीवर

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वाराणसी – राजा भगीरथ ने जब कठोर तप करके मां गंगा को धरती पर लाने की प्रार्थना की तो वह सीधे पृथ्वी पर नहीं आईं. गंगा भगवान शंकर की जटा से होते हुए धरती पर आने के लिए तैयार हुईं. तब भगवान शंकर ने उनको अपने जटा में जगह दी और उस जटा से एक धारा प्रवाहित होकर धरती पर पहुंची. माँ गंगा ने राजा भगीरथ के पुरखों को तारने का काम किया. कहा जाता है कि तभी से मां गंगा सभी के पापों को तार रही हैं. पृथ्वी पर जीव जंतुओं को मुक्ति प्रदान करने वाली मां गंगा आज खुद ही प्रदूषण से कराह रही है. गंगा में बढ़ते प्रदूषण को देखकर ही प्रसिद्ध साहित्यकार एवं गीतकार भारत रत्न भूपेन हजारिका को लिखना पड़ा मां गंगा तुम बहती हो क्यों? श्रावण मास में जिस गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक होता है आज इस गंगाजल में लाखों लीटर मल जल बिना शोधन के प्रवाहित हो रहा है और हम इस जल से भगवान शंकर का अभिषेक कर हर हर महादेव का जय घोष भी कर रहे हैं.

स्वच्छता दिखावा, प्रदूषण पर नहीं हो रहा काम

कड़वी सच्चाई यह है कि हम बात गंगा को साफ एवं निर्मल करने की करते हैं लेकिन आज गंगा पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है. आज उनका जल आचमन करने लायक भी नहीं रह गया है, नहाना तो दूर की बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तो गंगा की स्थिति और भी दयनीय हो गई है. नगर का पूरा सीवर सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया है और सीवर जाम होने के कारण मल सीधे गंगा में प्रवाहित हो रहा है. सावन महीने को आने में अब गिनती के ही दिन रह गए लेकिन नगर निगम साफ सफाई के नाम पर सिर्फ कागज पर ही मुस्तैद दिखाई दे रहा है. नगर निगम का पूरा सिस्टम फेल हो गया है. कहने को तो काशी में गंगा सफाई के नाम पर तमाम योजनाएं चल रही है लेकिन वह सिर्फ और सिर्फ मीडिया में बने रहने और पैसा बनाने के लिए ही काम कर रही है.

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विभाग कर रहा खानापूर्ति

हाल ये है कि तुलसी घाट से सीवर का गंदा पानी सीधे गंगा में प्रभावित हो रहा है. इसी तुलसी घाट पर गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस लिखा था. अब उस तुलसी घाट पर सीवर युक्तन पानी के कारण बैठने योग्य भी नहीं है. समाजसेवी रामयश मिश्र ने बताया कि संबंधित विभाग को सूचना दी गई थी उनके कर्मचारी आए और खाना पूर्ति करके चले गए. बता रहे थे कि कल मशीन लगेगा तो उसी से सफाई होगी. यही हाल पूरे बनारस का है चाहे तुलसी घाट हो, आसि घाट, दशास्वमेध घाट हो या शहर का अन्य कोई क्षेत्र हर जगह स्थिति यही है.

पूरा सीवर सिस्टम नगर का जाम है और सीवर का दूषित पानी गंगा में जा रहा है. समाजसेवी रामयश मिश्र ने कहा की गंगा में गिर रहे गंदे पानी को देखकर काशी में आने वाले हजारो सैलानियो एवं प्रतिदिन स्नान करने वाले स्नानार्थियों को काफी कष्ट हो रहा है लेकिन वहीं दूसरी तरफ नगर निगम जल संस्थान, जिला प्रशासन के लोगों को शायद ये दिखाई नहीं दे रहा है वह तो अपने कागज पर मां गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाकर सम्मान ग्रहण कर रहे हैं.

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