Sex Education: बिहार की राजनीति में अक्सर विवाद देखने को मिलता रहता है. इसी बीच बिहार में चल रहे विधानसभा सत्र में जब सीएम नीतीश कुमार ने परिवार नियोजन के विषय को जिस लहजे और भाव से उठाया, उस पर बहस हो सकती है. दूसरी ओर इस प्रकरण ने भारत में सेक्स के प्रति रवैया और सेक्स एजुकेशन की समस्या पर सवाल जरूर खड़े कर दिए है. नीतीश के बयान के बाद जिस तरह से चौतरफा हमला हो रहा है तो उसे यह माना जाए कि भारत में सेक्स समस्या पर बात करना जुर्म है.
दुनिया के 76 फीसद देशों में सेक्स एजुकेशन अनिवार्य…
आपको बता दें कि जिस तरह से नीतीश कुमार जिन अपरिष्कृत शब्दों में जिस बात का उल्लेख कर रहे थे, वह प्रत्याहरण विधि या सहवास व्यवधान है. जी परिवार अनियोजन के तरीकों में से एक है. क्यूंकि भारत में सेक्स पर बात करना निषेध है. UNESCO की शिक्षा निगरानी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में केवल 20 फीसद देशों में सेक्स कानून है. और 39 फीसद देशों में एक राष्ट्रीय नीति है जो विशेष रूप से सेक्स एजुकेशन को संबोधित करती है. वहीँ, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 68 फीसद देशों में प्राथमिक शिक्षा और 76 फीसद देशों में माध्यमिक शिक्षा में सेक्स एजुकेशन अनिवार्य है.
भारत में वर्जित विषय है यौन शिक्षा…
आपको बता दें कि भारत में यौन शिक्षा वर्जित विषय है और इसके बारें में सबकी राय अलग है. गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने तो संस्कृति को संरक्षित करने के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया है. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश सरकार ने कहा था कि यौन शिक्षा का “भारतीय संस्कृति में कोई स्थान नहीं है” और इसके बजाय स्कूलों में योग की शिक्षा ज्यादा जरूरी है.
BHU की छात्रा के मामले में सामूहिक दुष्कर्म समेत दो धाराएं बढीं..
यौन शिक्षा का विरोध…
सर्वप्रथम आपको बता दें कि भाजपा के दिग्गज नेताओं में सुमार 2014 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा था कि सेक्स एजुकेशन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. उनका मानना था कि यह युवाओं को भ्रष्ट कर करता है और भारतीय मूल्यों को ठेस पहंचाता है.
# मार्च 2007 में, महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में यौन शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया. यह प्रतिबंध विधानसभा के सत्तारूढ़ और विपक्षी सदस्यों द्वारा दावा किए जाने के बाद आया कि पश्चिमी देशों ने केंद्र सरकार को कार्यक्रम लागू करने के लिए मजबूर किया था.
# अप्रैल 2007 में कर्नाटक के तत्कालीन प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बसवराज होरत्ती ने कहा कि शिक्षकों की शिकायतों के बाद सेक्स एजुकेशन कार्यक्रम को रोक दिया गया है. शिक्षकों ने शिकायत की थी कि किताबें कंडोम की बिक्री बढ़ाने पर केंद्रित थीं और वे यौन उत्तेजक थीं.
# मई 2007 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के पाठ्यक्रम से यौन शिक्षा को इस आधार पर हटा दिया कि यह भारतीय मूल्यों को ठेस पहुंचाता है.
# 2007 में राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के बच्चों को यौन शिक्षा की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे युवावस्था के शुरुआती चरण में थे.
# 2009 में उत्तरप्रदेश में शिक्षक संघ ने उत्तर प्रदेश में यौन शिक्षा शुरू करने का विरोध किया.