वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर स्थित संत रविदास की जन्मस्थली गुलजार हो गई हैं. सेवादारों और श्रद्धालुओं के पहुंचने के साथ ही लंगरों में प्रसाद बनने और बंटने शुरू हो गये हैं. संत रविदास जयंती मनाने के लिए भक्तों के जुटान होने से सीर गोवर्धनपुर की फिजा ही बदल गई हैं.
जयंती समारोह में प्रधानमंत्री के शामिल होने को लेकर चल रही तैयारी का काम लगभग पूरा हो चुका है. प्रधानमंत्री के आने के पहले मुख्यमंत्री यहां आकर तैयारियों का फिर निरीक्षण कर सकते हैं. आला अधिकारियों से लगायत विभागीय अफसर होमवर्क पूरा करने में जुटे हैं. भगवानपुर से सीर गोवर्धनपुर जाने वाले मार्ग को लोक निर्माण विभाग द्वारा बना दिया गया है.
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सड़क के दोनों तरफ बैरिकेडिंग की जा रही है. जयंती समारोह में देश-विदेश से लाखों अनुयायी पहुंचेंगे. मंदिर में अमृतवाणी पाठ से पूरा वातावरण गूंज रहा है. सेवादारों और संगत के पंजाब हरियाणा सहित अन्य जगहों से आने का क्रम बना हुआ है. संत रविदास प्रतिमा के चारों तरफ 15 फीट के दायरे में ईंट की जोड़ाई के साथ ढलाई की जा रही है. प्रतिमा को उत्तर में स्थापित करने को लेकर लोगों का मानना है कि रविदास जी उत्तर में बैठकर ही अपना मूल काम जूता बनाने का करते थे. प्रधानमंत्री जयंती समारोह में पहुंचने के बाद सीधे रविदासजी का दर्शन करेंगे. इसके बाद वहां से निकलकर संत निरंजन दास से मिलने सत्संग पंडाल पर पहुंचेंगे. फिर लंगर में प्रसाद चखने के बाद वापस लौट जाएंगे. सत्संग पंडाल का निर्माण कार्य तेजी पर है. जमीन से दस फुट ऊपर मंच बनाया जा रहा है.
कारीडोर में बनाया गया दो आपातकालीन दरवाजा
प्रधानमंत्री के श्रद्धालुओं से मिलने के सम्भावित कार्यक्रम को देखते हुए कॉरिडोर की दीवार में पूर्व तरफ दो जगह तोड़कर आपातकालीन दरवाजा बनाया जाएगा. लंगर से होकर वापस लौटने वाली संगत के लोगों को गेट से चेकिंग के बाद सत्संग पंडाल में प्रवेश मिलेगा. पूर्व तरफ दीवार के किनारे से सत्संग पंडाल में जाने का रास्ता बनाया जा रहा है. पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी, एडीसीपी यातायात के साथ वाहन पार्किंग की व्यवस्था का निरीक्षण करने पहुंचे थे. सीर गोवर्धनपुर में 10 जगह पर वाहन पार्किंग की व्यवस्था की गई है. फायर ब्रिगेड की 8 गाड़ियों के साथ मेला क्षेत्र में जवान तैनात रहेंगे. रैदासियों के प्रमुख संत निरंजन दास 21 फरवरी को स्पेशल ट्रेन से 2000 संगत के साथ पंजाब से चलेंगे और 22 फरवरी को कैंट स्टेशन पर पहुंचेंगे. 23 फरवरी की सुबह संत निरंजन दास पंडाल में पहुंचकर संगत और भक्तों को दर्शन देंगे। 23 की शाम को ही नगवा पार्क में दीपोत्सव का आयोजन है.
आस्था का केंद्र है इमली का पेड़
संत शिरोमणि गुरु रविदास का जयंती आते हैं सीर गोवर्धनपुर मिनी पंजाब के रूप में बदल जाता है. लेकिन यहां के इमली का वृक्ष भक्तों के आस्था का केंद्र है. मान्यता के अनुसार अनुयायी गुरु रविदासजी का दर्शन करने के बाद इस इमली के वृक्ष पर आकर शीश नवाते हैं. इसके पत्ते को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. इमली के पेड़ से रैदासियों की मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. रैदासी इमली के पेड़ में कलावा जरूर बांधते हैं और मन्नत मांगते हैं. मान्यता है कि इसी इमली के पेड़ के नीचे बैठकर संत रविदास सत्संग किया करते थे. यहां की मिट्टी और इमली के पत्ते श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं. यह भी मान्यता है कि इस इमली के पत्ते से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है. स्थानीय निवासी अशोक और पंकज यादव ने बताया कि संत हरिदास ने जब इस मंदिर की नींव रखी, तब इमली का पेड़ सूखा था. लगातार पानी देने से उसकी जड़ें फिर से हरी हो गईं. अब यह पेड़ का रूप ले चुका है और रैदासियों के आस्था का केंद्र बन गया है. स्थानीय लोग भी किसी भी शुभ अवसर पर इमली के पेड़ पर मौली बांधने आते हैं. पेड़ की परिक्रमा करते हैं. सीर गोवर्धनपुर के निवासी और अपने को संत शिरोमणि का वंशज बताने वाले संतोष कुमार ने बताया कि यहां की मिट्टी को भी लोग पूजते हैं. पेड़ सैकड़ों साल पुराना है. यहां पर पहले बहुत पुराना पेड़ था जो बाद में गिर गया. अब फिर उसी स्थान पर इमली का पेड़ निकला है.