शोपियां में सेना को मिली बड़ी कामयाबी, 10 आतंकियों को किया ढेर
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों(Security forces) को रविवार को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। घाटी के अनंतनाग में एक और शोपियां में दो मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों ने 8 आतंकवादियों को मार गिराया है, जबकि एक को जिंदा गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार आतंकवादी हिज्बुल मुजाहिदीन गुट का बताया जा रहा है। सुरक्षा बलों को अनंतनाग और शोपियां में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अनंतनाग में तलाशी अभियान शुरू किया।
शोपियां में सेना के साथ मुठभेड़ में 7 आतंकी ढेर
जम्मू कश्मीर के डीजीपी शेष पॉल वैद्य ने बताया कि अनंतनाग के डायलगाम में एक आतंकवादी मारा गया और एक को जिंदा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि मृतक आतंकवादी स्थानीय था और पुलिस तथा उसके परिवारवालों ने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन उसने आत्मसमर्पण नहीं किया। उन्होंने बताया कि शोपियां में दो मुठभेड़ों में सात आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें कई शीर्ष कमांडर शामिल हैं। द्रागड में मारे गए आतंकवादियों के पास से भारी मात्रा में हथियार बरामद किया गया है।
अभी चल रही है मुठभेड़
वैद्य ने बताया कि शोपियां के काचदोरा में अभी मुठभेड़ चल रही है और यहां 4 से 5 आतंकवादी छिपे हुए हैं। कुछ नागरिक फंसे हुए हैं। उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इलाके में सुरक्षा बलों का अभियान अभी जारी है। आपको बता दें, शनिवार को पुलवामा जिले में शनिवार शाम आतंकवादियों ने विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) मोहम्मद अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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आतंकी अशरफ ने इलाज के दौरान तोड़ा दम
अशरफ हमले में गंभीर रूप से घायल हुए थे और इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। पुलिस ने एक स्थानीय नागरिक के घायल होने की सूचना दी थी लेकिन बाद में उस शख्स की पहचान होने पर पाया गया कि वह एक विशेष पुलिस अधिकारी( एसपीओ) थे। पुलवामा के जिला पुलिस लाइन में उनकी पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया गया।
आतंकियों ने एसपीओ को मारी थी गोली
अनंतनाग जिले में आतंकवादियों ने एक अन्य एसपीओ को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। पुलिस ने बताया कि आतंकवादियों ने मुरन चौक पर एसपीओ मोहम्मद अशरफ को नजदीक से गोली मारकर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वह आतंकवाद का रास्ता छोड़ पुलिस अधिकारी बने थे। गौरतलब है कि निश्चित मासिक वेतन पर अनुबंधित एसपीओ नियमित पुलिसकर्मी नहीं होते हैं। इनकी भर्ती 1990 के दशक में उग्रवाद से लड़ने के लिए की गई थी।