पेटीएम के फाउंडर को शो कॉज नोटिस, बोर्ड मेंबर्स भी घेरे में
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. रिपोर्ट्स की माने तो कंपनी के आईपीओ के बारे तथ्यों को गलत ढंग से पेश करने के आरोप में यह नोटिस विजय शेखर शर्मा को भेजी गई है.
भारत में पेटीएम बहुत ज्यादा लोकप्रिय एप है. विजय शेखर शर्मा ने अगस्त 2010 में नोएडा में पेटीएम की स्थापना की थी. यह अब भारत का सबसे पसंदीदा डिजिटल वॉलेट और ई-कॉमर्स भुगतान प्रणाली है. इसकी मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड है और सीईओ वरुण श्रीधर हैं. हांलाकि मार्केट रेगुलेटर सेबी ने पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
रिपोर्ट्स की माने तो कंपनी के आईपीओ के बारे तथ्यों को गलत ढंग से पेश करने के आरोप में यह नोटिस विजय शेखर शर्मा को भेजी गई है. इसके साथ ही शर्मा के साथ- साथ उन लोगों को भी नोटिस मिली है जो आईपीओ के समय कंपनी के बोर्ड में शामिल थे.
पेटीएम के शेयर कारोबार में फेर-बदल
जहां पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड का आईपीओ नवंबर 2021 में आया था. वहीं अब इस खबर के बाद से कंपनी को एक बड़ा झटका लगा है. इस दौरान पेटीएम का शेयर कारोबार के दौरान गिरावट के साथ 505.55 रुपए पर आ गया था. हालांकि बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ और यह 4.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 530.95 रुपए पर बंद हुआ.
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रिपोर्टस के मुताबिक सेबी की नोटिस इस बात पर केंद्रित है कि शर्मा को कंपनी का प्रमोटर बताया जाना चाहिए था. साथ ही यह बोर्ड के सदस्यों की ड्यूटी थी कि वे शर्मा के दावों को वेरिफाई करें. सेबी ने पेटीएम के आईपीओ के खिलाफ तीन साल बाद एक्शन लिया है.
सेबी को इस बारे में किया था आगाह
कंपनी के शेयरहोल्डिंग पैटर्न की जानकारी सेबी को उस समय से थी. जब 2021 में कंपनी की तरफ से डॉक्यूमेंट फाइल किए गया था. वहीं इसके साथ ही सेबी को इस बारे में प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म्स ने भी आगाह किया था. वहीं अब पेटीएम पेमेंट्स बैंक मामले के बाद सेबी ने ही कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की है.
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इसी बीच 22 मई और 19 जुलाई को कंपनी के द्वारा भी एक बयान जारी किया गया था. जिसमें कहा गया है कि इस संबंध में नियामक से आगे की जानकारी मांगने की प्रक्रिया में है. एक स्वतंत्र कानूनी राय के आधार पर प्रबंधन यह मानता है कि कंपनी प्रासंगिक विनियमों का अनुपालन कर रही है. ऐसी स्थिति में 31 मार्च, 2024 को समाप्त वर्ष के वित्तीय परिणामों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.