कावेरी विवाद : SC ने कहा, नदी पर किसी राज्य का अधिकार नहीं
दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना सकता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी।
दशकों पुराना है विवाद
दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कावेरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था। फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया।
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कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था। शीर्ष अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है।
बंगलुरु में सुरक्षा कड़ी
कावेरी विवाद तीन राज्यों के बीच तनाव का कारण लंबे समय से रहा है। इसके मद्देनजर फैसले से पहले तीनों राज्यों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बंगलुरु के पुलिस आयुक्त टी. सुनील कुमार ने बताया कि 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाएगा। विशेष ध्यान संवेदनशील इलाकों पर दिया जाएगा जहां पहले हिंसक वारदातें हो चुकी हैं। कर्नाटक दावा करता रहा है कि कृष्णराज सागर बांध में सिर्फ उतना पानी है जो केवल बंगलुरु की आवश्यकता को पूरी करता है। इसके अलावा होसुर में दो डीएसपी और 100 जवानों की तैनाती की गई है। हाईलेवल मीटिंग कर लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है। तमिलनाडु में भी इस फैसले को लेकर सरकार अलर्ट है। तमिलनाडु में 5 लाख किसान, खेती से जुड़े 18 लाख कामगार, सिंचाई और तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोग कावेरी विवाद से संबंध रखते हैं। चेन्नई में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
aajtak
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