इस दिन पड़ेगी सर्वपितृ अमावस्या, जानें इस दिन क्यों दी जाती है पितरों को विदाई…
हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष पितृपक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तिथि तक रहता है। इस साल 29 सितंबर से होने जा रही है और इसका समापन 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या के दिन होगा । यह दिन सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या और पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन भी होता है। शास्त्रों में बताया गया है कि,सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ उपायों को करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है।
सर्वपितृ अमावस्या तिथि
उदयातिथि के अनुसार, 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि का आरंभ 13 अक्टूबर को रात 9 बजकर 50 मिनट पर होने जा रहा है और अमावस्या तिथि का समापन 14 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा।
कुतुप मूहूर्त – सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दिन 12 बजकर 30 मिनट तक
रौहिण मूहूर्त – दिन में 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 16 मिनट तक
अपराह्न काल – दिन में 1 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक
सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसे करें श्राद्ध
अमावस्या के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करके सफेद रंग के धुले वस्त्र पहनकर पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए। इसके बाद अपना मुख दक्षिण दिशा की तरफ करके बैठें फिर तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर उसमें काले तिल व कच्चा दूध डाल दें। इस जल से तर्पण करते वक्त पितरों के लिए प्रर्थना करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं तत्पश्चात श्रद्धानुसार दक्षिणा दें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
मान्यता है कि इस दिन दीप दान करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती। इस दिन ब्राह्राण को भोजन कराने से पहले दक्षिण की ओर मुख करके पंचबलि गाय, कुत्ते, कौए, देवता आदि और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकाली जाती है। इन जीवों को भोग लगाने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिजनों द्वारा पालन किए जा रहे नियमों को देखकर पितर प्रसन्न भी होते हैं। ऐसा करने पितृ दोष दूर होता है और पितरों द्वारा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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सर्वपितृ अमावस्या पूजन विधि
– तर्पण-दूध, तिल, कुशा, पुष्प, सुगंधित जल पितरों को अर्पित करें।
-पिंडदान-चावल या जौ के पिंडदान, करके भूखों को भोजन दें।
– निर्धनों को वस्त्र दें।
– भोजन के बाद दक्षिणा दिए बिना एवं चरण स्पर्श बिना फल नहीं मिलता।
-पूर्वजों के नाम पर करें ये काम जैसे -शिक्षा दान,रक्त दान, भोजन दान,वृक्षारोपण ,चिकित्सा संबंधी दान आदि अवश्य करना चाहिए।