सरबजीत के कातिल अमीर सरफराज की लाहौर में गोली मारकर हत्या

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पाकिस्तान में आतंकी अमीर सरफराज की लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. यह वही शख्स है जिसने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की उस वक्त हत्या कर दी थी, जब वह दोनों लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे.

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हाफिज सईद का था करीबी

पाकिस्तान की मीडिया के अनुसार अज्ञात हमलावरों ने सरफराज को एक के बाद एक कई गोलियां मारीं, इसके बाद घटनास्थल पर ही उसने दम तोड़ दिया. बता दें कि अमीर सरफराज को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैएबा और 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का करीबी माना जाता है.

आईएसआई ने रची थी साजिश

2013 में लाहौर जेल में कैद सरबजीत की हत्या सरफराज ने की थी. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर इस हत्या का आरोप लगाया गया था. कई इंडो-पाक विशेषज्ञों का मानना था कि आईएसआई के इशारों पर सरबजीत की हत्या की गई थी. वहीं दिसम्बर 2018 में पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत सिंह की हत्या के मामले में दो प्रमुख संदिग्धों अमीर सरफराज उर्फ तांबा और मुदस्सर को सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया था. मौत की सजा के कारण दोनों कैदियों ने लाहौर की लखपत जेल में 49 वर्षीय सरबजीत सिंह पर ईंटों, नुकीली धातुओं, लोहे की छड़ों और ब्लेड से हमला कर हत्या कर दी थी.

बेटी ने पाक पर उठाए सवाल

सरबजीत सिंह की बेटी स्वप्नदीप कौर ने पाक पर आरोप लगाया कि सबूतों को नष्ट करने के लिये उनके पिता के आरोपितों की हत्या कराई गइ है. उन्होंने पिता की हत्या के खिलाफ उनके आरोपितों के बरी हो जाने पर भी सवाल उठाए थे.

सरबजीत सिंह के बारे में..

सरबजीत सिंह का जन्म पंजाब के तरनतारन जिले के भिखीविंड में हुआ था. वह एक किसान थे, जो 1990 के दशक की शुरुआत में भटककर पाकिस्तान चले गए थे. पाकिस्तान की एक अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम विस्फोट में कम से कम 14 लोगों की हत्या के मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि पाकिस्तानी सरकार द्वारा मौत की सजा को बार-बार स्थगित किया गया था. अप्रैल 2013 में लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने उनपर ईंटों और लोहे की रॉड से हमला कर दिया था. 6 दिन बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनकी हत्या के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद खराब हो गए थे. सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने पाकिस्तान से अपने भाई की रिहाई के लिए काफी संघर्ष किया था. 2022 में अमृतसर में उन्होंने अंतिम सांस ली.

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