पूरा हुआ प्रण…सरयू में स्नान के बाद सम्राट चौधरी ने उतारी पगड़ी…

22 महीने के बाद अपनी पगड़ी

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बिहार: बिहार के डिप्टी सीएम और बिहार BJP के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अपने संकल्प के तहत करीब 22 महीने के बाद अपनी पगड़ी उतार दी है. वह आज अयोध्या पहुंचे और सरयू नदी में स्नान करने के बाद सभी को प्रणाम करने के बाद अपनी पगड़ी खोल दी. इसके बाद उन्होंने उतारी गई अपनी पगड़ी रामलला को समर्पित कर दी. इतना ही नहीं हनुमानगढ़ी में जाकर हनुमान जी का दर्शन किया और मुंडन भी कराया.

मेरा संकल्प पूरा हुआ- सम्राट चौधरी

बता दें कि आज सुबह अयोध्या पहुंचे सम्राट चौधरी वहां सबसे पहले मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने कहा कि मैं आज रामलला को अपनी पगड़ी समर्पित करने आया हूं. सम्राट ने कहा कि मैंने 28 जून को ही पटना में घोषणा की थी कि अयोध्या जाकर श्री रामलला के चरणों में अपनी पगड़ी को समर्पित करूंगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि- हमारी प्रतिबद्धता नितीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने की थी जो 28 जनवरी को पूरी हो गयी थी. क्योंकि नितीश कुमार विपक्षी गठबंधन से अलग होकर हमारे साथ आ गए और हमारे मुख्यमंत्री बन गए.

अब वे हैं नीतिश कुमार के हैं सहयोगी

गौरतलब है कि 28 जनवरी को नीतीश कुमार इंडिया महागठबंधन से अलग होकर मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था. उसी दिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का सरकार बनाकर उनका संकल्प पूरा हो गया. अब वे नीतीश कुमार के सहयोगी हैं और बिहार में सुशासन व विकास को समर्पित सरकार चल रही है. अब भ्रष्टाचारियों, लुटेरों, माफियाओं व परिवारवादियों के लिए कोई स्थान नहीं.

21 महीने से पगड़ी पहने दिखते रहे सम्राट चौधरी

बता दें कि चौधरी का पगड़ी पहनना बीते कई सालों से चर्चा का विषय बना हुआ था. करीब 21 महीने पहले प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सम्राट चौधरी ने संकल्प लिया था कि वह नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के बाद ही अपने सिर से पगड़ी हटाएंगे. सितंबर 2022 में अपनी मां के निधन के बाद सम्राट चौधरी ने सिर पर पगड़ी बांधी थी.

बीजेपी के जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं सम्राट

बता दें कि बिहार में कुशवाहा मतदाताओं की संख्या अधिक है. इतना ही नहीं इस जाति के मतदाताओं पर सभी पार्टियों की नजर रहती है. इसी बीच, प्रदेश की सियासत का गणित बदला और नीतीश कुमार फिर से एनडीए के साथ आ गए. इसी क्रम में बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनी और सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. लोकसभा चुनाव में भाजपा संगठन में बदलाव कर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी. इधर, देखा जाए तो राजद जहां कुशवाहा समाज को साधने की कोशिश में जुटी है, वहीं भाजपा अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त करने को देख रही है.

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विधानसभा चुनाव की तैयारी में BJP

सूत्रों के अनुसार, भाजपा सभी पहलुओं पर विचार कर रही है. कहा जा रहा है कि भाजपा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदलने पर भी विचार किया जा रहा है. ऐसे में कई नामों की चर्चा है. वैसे, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उम्मीद से बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलने के बाद यह साफ है कि भाजपा अगले साल होने वाले चुनाव के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती.

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