नीदरलैंड्स से शुरू हुआ समलैंगिक विवाह, पांच देशों में आज भी इन विवाह पर दी जाती है सजा-ए-मौत
लगभग सभी देशों में विवाह एक पारंपरिक कल्चर होता है। विवाह से केवल दो व्यक्त ही नही बल्कि उनसे संबंधित लोग भी जुड़ते हैं। सामान्य तौर पर विवाह दो विपरीत लिंग वाले जोड़ों के बीच का संबंध होता है। विवाह के बाद ही एक स्त्री और पुरुष के बीच के प्रेम को सामाजिक स्वीकृति मिलती है।
प्रकृति के विरुद्ध समलैंगिक विवाह
समाज में अब प्राकृति के नियम के विरुद्ध जाकर भी कुछ विवाह हो रहे हैं। इनमें समलैंगिक विवाह शामिल है। इस तरह के विवाह एलजीबीटी समुदाय के बीच होता है। इस समुदाय में लैस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर आते हैं। भारत में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जबकि 34 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दे दी है। इसके बाद भी पांच ऐसे देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह एक अपराध है। इन देशों में ऐसा करने वालों को सजा-ए-मौत दी जाती है।
हम जून के महीने में समलैंगिक विवाह की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इस महीने को प्राइड मंथ कहा जाता है। जून का महीना एलजीबीटी समुदाय के लिए बहुत खास होता है। इस महीने दुनियाभर के एलजीबीटी समुदाय अपने अधिकारों और उनके कल्चर का जश्न मनाते हैं। ऐसे में समलैंगिक विवाह की चर्चा भी खूब हो रही है।
समलैंगिक विवाह अवैध या वैध
दरअसल, यूं तो समलैंगिक विवाह पारंपरिक तौर पर सही नही है फिर भी समलैंगिकता का अस्तित्व सभी संस्कृतियों और देशों में पाया गया है। कई देशों ने समलैंगिक जैसे अप्राकृतिक विवाह को मंजूरी दे दी है। वहीं कुछ देश ऐसे हैं जहां आज भी सेम सेक्स यानी समलैंगिक मैरिज अवैध है। जबकि कुछ देशों की सरकारें एलजीबीटी समुदाय के लोगों को एक साथ नहीं रहने देते हैं। अगर कोई साथ रहना चाहता भी है, तो उस जोड़ो को सजा-ए-मौत दी जाती है। यानी इन देशों में सेम सेक्स मैरिज को अपराध मानकर मौत की सजा तक दी जाती है। जबकि कई देश इसको लेकर इतने सख्त हैं कि गे और लेस्बियंस को फांसी पर चढ़ा दिया जाता है।
इन देशों में मिलती है सजा-ए-मौत
रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अरब, कतर,ईरान आदि जैसे देशों में समलैंगिकता अवैध है। अगर कोई भी समलैंगिक संबंध बनाता है, तो उसे आजीवन करावास या मौत की सजा दी जाती है। हालांकि, ये समुदाय काफी समय से अपने हक के लिए लड़ रहा है।
- पकिस्तान देश में कानून समलैंगिक यौन कृत्यों के लिए आपराधिक दंड निर्धारित करता है। 2023 में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि समलैंगिक विवाह सभी इस्लामी और सांस्कृतिक कानूनों के खिलाफ है। कानून के तहत न तो समान-लिंग विवाह और न ही नागरिक संघों की अनुमति है।
- अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जहां समलैंगिकता अपराध है और समलैंगिक होने का मलतब है सजा ए मौत। समलैंगिक संबंधों और विवाहों को तालिबान सरकार के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है।
- ईरान ऐसा देश है, जहां ट्रांसजेंडर को लेकर अधिकार सीमित हैं। हालांकि, सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर की पहचान को आधिकारिक मान्यता दे दी है। पर ट्रांसजेंडर समुदायको सामाजिक और कानूनी तौर पर काफी भेदभाव देखने को मिलता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में गे और लेस्बियंस को सरेआम फांसी पर लटका दिया जाता है क्योंकि जिन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सर्जरी नहीं होती है, उन्हें कोई कानूनी मान्यता नहीं है।
- अफ्रीकी युगांडा देश में भी ट्रांसजेंडर को लेकर काफी सख्त कानून हैं। इस देश में कोई भी गे एक साथ घूमना हुआ नजर नहीं आता। इस देश में कोई भी गे एक साथ नहीं रह सकता। एलजीबीटीक्यू समुदायके खिलाफ बेहद सख्त कदम भी उठाए हैं और मौत की सजा का प्रावधान रखा है। कथाकथित तौर पर अगर को समलैंगिक यौन रखता है, तो आजीवन करावास की सजा भी दी जा सकती है।
- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में समलैंगिक, समलैंगिक, उभयलिंगी और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) व्यक्तियों को अन्य निवासियों द्वारा अनुभव नहीं की जाने वाली कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। संयुक्त अरब अमीरात में समलैंगिकता अवैध है और देश के आपराधिक प्रावधानों के तहत, सहमति से समलैंगिक यौन गतिविधि कारावास से दंडनीय है।
34 देशों ने समलैंगिक विवाह को दी मान्यता
नीदरलैंड्स से शुरू हुआ था समलैंगिक विवाह
दुनिया के 34 देशों ने समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया है। वैवाहिक समानता को मान्यता देने वाला पहला देश नीदरलैंड्स था। संसद ने सन् 2000 में ऐतिहासिक विधेयक को तीन-बनाम-एक के अंतर से पारित किया था। ये साल 2001 में प्रभाव में आया था। इस कानून ने समलैंगिक जोड़ों को शादी करने, तलाक लेने और बच्चे गोद लेने का अधिकार दिया।
2022 में तीन देशों ने समलैंगिक विवाह को किया वैध
पिछले साल ही तीन देशों ने समलैंगिक विवाह को वैध किया है। इनमें साल 2022 जुलाई में एंडोरा ऐसा करने वाला सबसे हालिया देश बना। वहीं साल 2022 में क्यूबा ने एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह के बाद समलैंगिक विवाह को मान्यता दी। जबकि 23 देशों ने कानून बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी है। इनमें ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड और स्विट्जरलैंड ने राष्ट्रीय स्तर पर मतदान कराने के बाद ऐसा किया।
इन 10 देशों में राष्ट्रीय स्तर पर दी गई मान्यता
दस देशों ने अदालती फैसलों के माध्यम से समलैंगिक विवाह को राष्ट्रीय स्तर पर वैध कर दिया है। इनमें ऑस्ट्रिया, ब्राजील, कोलंबिया, कोस्टा रिका, इक्वाडोर, मैक्सिको और स्लोवेनिया ने बाद में विधायिका के माध्यम से राष्ट्रीय कानून भी बनाए। अमेरिका ने 2015 में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता दी थी। ये कानूनी मान्यता उस समय दी जब वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि संविधान पूरे देश में इसकी गारंटी देता है।
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