संभल: जानें क्या है फिरोजपुर किले का इतिहास, जिसका ASI ने किया सर्वे …
Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल में रानी की बावड़ी की खुदाई का काम जारी है. इसी बीच ASI ने फिरोजपुर के किले का सर्वे किया है. ASI टीम के अलावा यहां डीएम और एसपी ने भी निरीक्षण किया और अतिक्रमण को लेकर नाराजगी जाहिर की है. इस दौरान अतिक्रमण कर बनाई गई एक दीवार को भी गिरा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, यह किला लगभग 500 साल पुराना है जिसकी स्थिति दिन पर दिन जर्जर होती जा रही है. किले का संरक्षण ASI के द्वारा किया जा रहा है.
क्या है फिरोजपुर किले का इतिहास…
बता दें कि संभल की कहानी काफी पुरानी है. यह किला कई सौ साल पुराना इतिहास समेटे हुए है. कहा जाता है कि मुग़ल सल्तनत के दौर में दिल्ली और आगरा के बीच में संभल में रियासत बसी थी. यहां पर फिरोजपुर किले के साथ ऐसी कई जगह है जो संभल का पुराना इतिहास बयां करती है.
कहा जाता है कि मुग़ल बादशाह शाहजहां के दौर में संभल क्षेत्र के गवर्नर रहे रुस्तमखां दक्खिनी के फौजी थे. उन्हें बादशाह शाहजहां ने सोत नदी के किनारे की जमीन तोहफे मे दी थी. तोहफे में मिली इसी जमीन पर यह किला बनवाया गया था. जानकारी के मुताबिक, मौजूदा वक्त में किले की जमीन पर अवैध कब्जे भी हो चुके हैं. करीब 358 साल पहले बनवाए गए इस किले की जिम्मेदारी मौजूदा वक्त में पुरातत्व विभाग के पास है.
इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि शाहजहां के सेनापति सैयद फिरोज शाह फिरोजपुर में आकर बसे थे. जब अंग्रेजों ने आगरा किले को घेर लिया था तब उन्होंने फिरोजपुर में शरण ली और यहीं पर इस किले का निर्माण कराया. उन्हीं के नाम पर इस किले का नाम रखा गया. किले के अंदर एक कुआं और बुर्ज बना हुआ है जिसके संरक्षण का जिम्मा ASI के पास है.
2018 में हो चुकी है किले की मरम्मत…
बता दें कि साल 2018 में एक बार किले की मरम्मत हो चुकी है. उस समय ASI ने मरम्मत में करीब 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च किए थे. वहीं, कल निरीक्षण के बाद संभल डीएम ने बताया कि उन्होंने फिरोजपुर स्थित पुराना किला, तोता-मैना की कब्र, प्राचीन बावड़ी का ASI की टीम के साथ निरीक्षण किया. किले का मुआवना कर स्थिति की जानकारी ली और सुधार करने को कहा.
तोता- मैना की कब्र भी है मौजूद…
कहा जाता है कि संभल में गवां के पास एक कब्र है जो कि तोता- मैना के नाम से मशहूर है. इसे लोग प्यार की निशानी के तौर पर देखते हैं. इतना ही नहीं इसे देखने के लिए लोग दूरदराज से आते हैं. इस कब्र पर आयतल कुर्सी और दूसरी तरफ नाद ए आयात लिखी है. इस कब्र पर 939 हिजरी लिखा हुआ है.
रानी की बावड़ी की खुदाई जारी…
गौरतलब है कि संभल में रानी की बावड़ी की खुदाई पिछले 5 दिनों से जारी है. बताया गया कि ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए इसकी खुदाई बुलडोज़र से नहीं कराई जा सकती है. इसलिए इसकी खुदाई मजदूरों से कराई जा रही है. अब सीढ़ीदार कुंए की संरचना स्पष्ट रूप से उभर रही है. यह बावड़ी करीब 150 साल पुरानी है.