कोरोना योद्धा ‘उज्मा के जज्बे’ को सलाम, मुस्लिम समाज के लिये नजीर
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का गली-कूचा, मुंह पर मास्क और चेहरे पर बुर्का, तहजीब की एक जीती-जागती मिसाल। इतना ही नहीं, पीठ पर लदे सैनेटाइजर मशीन से राजधानी को पूरी तरह कोरोना मुक्त करने की जिद ने इसे आम से खास बना दिया है। वजह, उज्मा नाम की इस महिला में न सिर्फ समाज के सुरक्षा की चिंता बल्कि कोरोना को राजधानी क्षेत्र से बाहर भागने की जिद भी है। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने को इकट्ठा किये धनराशि से ही उसने सैनेटाइजर, मशीन और जरूरी सामानों का प्रबंध कर इस लक्ष्य को पूरा करने में जुटी है।
लखनऊ की सैयद उज्मा परवीन कोरोना योद्धा
कोरोना संकट में एक से बढ़कर एक योद्घा सामने आए हैं। राजधानी की ऐसी ही योद्घा हैं, लखनऊ की सैयद उज्मा परवीन। लॉकडाउन की शुरुआत से लेकर अब तक चेहरे पर मास्क, शरीर पर बुर्का और पीठ पर लदी भारी सैनिटाइजिंग मशीन से राजधानी की गली-गली को सैनिटाइज करने का बीड़ा उठाया है। पुराने लखनऊ के सीताराम मंदिर से शुरू हुआ यह सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। यह महिला मुस्लिम समाज के साथ दूसरों के लिए भी नजीर बनी हुई हैं। हालांकि, नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को लेकर सुर्खियों में आई उज्मा को यह राह साधने में काफी कठिनाईयों का सामना भी करना पड़ रहा है। बावजूद इसके वह हार मानने को तैयार नहीं है।
लखनऊ की गलियों को कर रही हैं सैनिटाइज
उज्मा का कहना है, “सैनिटाइज करने के लिए स्प्रेयर मशीन से लेकर केमिकल तक कि खरीदारी उन्हें खुद के खर्चे पर करनी पड़ी है। अब तक 6 से 7 लाख रूपये खर्च हो गये हैं। सहादतगंज की रहने वाली उज्मा ने मीडिया को बताया कि नगर निगम सैनिटेशन के काम में लगा हुआ था। लेकिन वह हर जगह नहीं पहुंच पा रहा है। फिर मैंने लॉकडाउन की शुरुआत से खुद को इस काम में झोंक दिया। उन्होंने बताया कि लखनऊ की गलियों में रोज सैनिटेशन कर रहीं हैं।
उज्मा ने बताया कि अभी तक बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, सभी पुलिस थाने, चौकी, पेट्रोल पम्प फैजुल्लागंज, बालागंज, कैम्पल रोड, जमा मस्जिद, खदरा, ठाकुरगंज, सहादतगंज, मंसूर नगर, इन्दिरा नगर, गोमती नगर, कृष्णा नगर, आलमाबाग चिनहट के इलाको में खुद जाकर सैनिटाइज किया है।
उन्होंने बताया कि यह प्रेरणा उनके पिता से मिली है। समाज सेवक के रूप में उन्होंने बहुत काम किया है। वे बताया करते हैं कि खुद के कदम बढ़ाने से हर समाज के लोग जुड़ते जाते हैं।
परिवार की जिम्मेदारी
परवीन ने बताया कि वह सुबह 04 बजे से निकालकर 10 बजे तक वापस आती हैं। फिर, परिवार की जिम्मेदारी संभालती है। सहूलियत के लिए 6-6 घण्टे की शिफ्ट बनाया है। पूरा लखनऊ , सैनिटाइज करने का इरादा है। जब तक यह कोरोना हार नहीं जाता तब तक उनके कदम नहीं रूकेगें।
समाज को सकारात्मक संदेश
वह समाज को सकारात्मक संदेश दे रही हैं। पर्दे में हिजाब वाली महिलाएं भी इस बीमारी से लड़ सकती हैं। उनके इस काम को लेकर पति ने पहले थोड़ा एतराज जताया था, लेकिन जब हौसला कम नहीं हुआ, तब वे भी इस काम में मदद करने लगे।
उज्मा के यह कदम रमजान में भी नहीं रूके। 12-14 घंटो तक बिना खाए-पिए रहना पड़ा। जो लोग पहले ताना देते थे, उनमें से कुछ मदद के लिए भी आगे आ रहे हैं।
उज्मा को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित
नगर आयुक्त इंद्रमणि ने उज्मा को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है। हालांकि, इनका विरोध भी हुआ। इसके पीछे नागरिक संशोधन बिल का विरोध वजह बताई गई।
उन्होंने इसपर कहा कि इस संदेश ने बड़ा दुख दिया। एक समय ऐसा भी आया, जब सम्मान वापस करने का मन बनने लगा था, लेकिन कुछ दिनों में विवाद खत्म हो गया और इसे शांत रखने का ही मन बन गया।
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