जेल से रिहा हुए ‘रावण’ को सता रहा है ये खौफ

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भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण( ravan) ने जेल से बाहर आते ही अंदेशा जताया है कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार एक बार फिर उन्हें जेल भेज सकती है। रावण को तय समय से पहले अपनी रिहाई में सरकार की साजिश नजर आती है। भीम आर्मी चीफ ने आशंका जताई कि सरकार और पुलिस चंद दिनों बाद किसी फर्जी मुकदमे में उन्हें फिर जेल भेज सकती है और उनके खिलाफ दोबारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) लगा सकती है।

रावण को लगता है उन्हें चुनाव से हटाने के लिए ऐसी साजिश रची जा सकती है। रावण ने रिहाई के बाद कहा, ‘उनको मुझसे चुनाव में डर लगता है। लेकिन इससे मैं घबराने वाला नहीं हूं। देश में बहुजनों के खिलाफ होने वाले हर अत्याचार के खिलाफ हम आवाज बुलंद करेंगे। न्याय मिलने तक चुप नहीं बैठेंगे और अन्याय के खिलाफ जंग जारी रहेगी।’

‘हक के लिए लड़ेंगे, डरेंगे नहीं’

रात में 2.37 बजे सहारनपुर जेल से रिहाई होने के बाद रावण समथर्कों के साथ पुलिस के पहरे में अपने घर छुटमुलपुर पहुंच गए। बड़ी संख्या में जेल के बाहर मौजूद भीम आर्मी समर्थकों ने रावण का स्वागत किया और जुलूस निकालते हुए उन्हें गांव ले गए। छुटमुलपुर में भीम आर्मी चीफ ने कहा कि पुलिस गोली चलाए, लाठी मारे या जेल भेजे। हम हक के लए लड़ेंगे, डरेंगे नहीं।

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रावण ने कहा, ‘सरकार जब किसी को फंसाती है तब पुलिस को हथियार बनाती है लेकिन हमारी कोशिश होगी कि सरकार या प्रशासन आगे से हमारे आंदोलनों को हिंसक रूप न दे सके। हम कानून के तहत काम करेंगे। सरकार ईमानदार लोगों से डरती है।

सरकार के खिलाफ हम आवाज बुलंद करेंगे

चंद्रशेखर ने सरकार और पुलिस पर सहारनपुर हिंसा में बेगुनाह युवाओं और बच्चों को फंसाने का आरोप भी लगाया। रावण ने कहा, ‘सरकार को मुझसे दिक्कत थी, तो मुझे गिरफ्तार करती। हमारे निर्दोष लोगों को जेल भेजा गया। जेल में बेगुनाह नौजवान और छोटे-छोटे बच्चे भी भेजे गए थे। सरकार एक तरफ हमसे मदद लेती है, क्योंकि हमारे लोग हमारी बात मानते हैं और फिर दूसरी तफ हमें ही गिरफ्तार भी कर लेती है। सिर्फ जाति के आधार पर उस वक्त लोगों को पकड़ा गया था। बेगुनाह लोग जब जेल में रोते थे, तब मेरा दिल रोता था। पुलिस के पास कोर्ट में हमें गुनहगार साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। वह कानूनी लड़ाई हार जाएंगे। सरकार के खिलाफ हम आवाज बुलंद करेंगे।’

जो कतई अच्छा नहीं लगता था। मेरा दिल दुखता था

चंद्रशेखर ने अपनी मां के दर्द को बयां करते हुए कहा, ‘वह मुझे लेकर बहुत परेशान रहती थी। बहुजन समाज के मिशन से जुड़े हर युवक की मां मेरी मां है। मेरी कोशिश होगी कि किसी की मां को परेशानी और कोई शिकायत न हो। जितनी बार भी मां जेल आई मैंने मिलने आने से मना किया लेकिन मां मेरी बात नहीं मानती थी। कई बार मां उनसे मुलाकात के दौरान घर में होने वाली समस्याएं बताती थी, जो कतई अच्छा नहीं लगता था। मेरा दिल दुखता था।’

मैं तिल-तिलकर मरी, हर सांस पर मौत देखी

इस बीच चंद्रशेखर की मां का कहना है कि बेटे की रिहाई की बात सुनकर उन्हें एकबारगी यकीन नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘जब सीएम को टीवी पर सुना कि चंद्रशेखर की रिहाई कर रहे हैं, तब रात में यकीन आया। आज मैं बहुत खुश हूं। बेटे के बाहर आने पर बहुत अच्छा लग रहा है। बेटा इतने दिन तक जेल में रहा, मैं तिल-तिलकर मरी, हर सांस पर मौत देखी। परेशानी उठाई। मेरे परिवार के हर सदस्य ने रिहाई के लिए बहुत कोशिश की। उस मेहनत का फल है कि बेटा हमारे बीच है। मेरे लिए मिशन से जुड़े सभी बच्चे मेरे चंद्रशेखर हैं। बेटा दबे-कुचलों की आवाज उठा रहा है। लोग उसके साथ हैं।’

भीम आर्मी चीफ की मां को उम्मीद है कि अगर ऐसे ही लोगों का साथ बेटे को मिला तो एक दिन वह कुछ जरूर बनेगा। साथ ही उन्होंने राजपूत समाज पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके बेटे चंद्रशेखर ने लड़ाई शुरू नहीं की थी, बल्कि उनको लड़वाया गया। साभारएनबीटी

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