जब अलवर के महाराजा से कंपनी ने मांगी थी माफी, अब 118 वर्षों में पहली बार बनाया रिकॉर्ड, जानें रोल्स-रॉयस का इतिहास

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हमारे देश के राजा-महाराजा अपनी शानोशौकत के लिए रोल्स-रॉयस खरीदना फख्र की बात मानते थे. इसको लेकर एक रोचक कहानी अलवर के महाराजा जय सिंह प्रभाकर से जुड़ी है. बताया जाता है कि महाराजा रोल्स-रॉयस कारों का इस्तेमाल कूड़ा गाड़ी के तौर पर करते थे. ऐसा उन्होंने क्यों किया यहां जाने…

 

Rolls-Royce Company Alwar Maharaja Jai ​​Singh Prabhakar

 

द टेलीग्राफ के अनुसार, वर्ष 1920 के दशक में राजस्थान के अलवर के महाराजा जय सिंह प्रभाकर लंदन गए थे. उस दौरान उन्होंने कैजुअल इंडियन ड्रेस पहना हुआ था. शहर में घूमते हुए उन्होंने शोरूम में रोल्स-रॉयस कारें देखीं. उनकी दिलचस्पी इन कारों के नये मॉडल को खरीदने की हुई. उत्सुकतावश कारों की जानकारी के लिए जब वो शोरूम के अंदर घुसने लगे तो शोरूम के सेल्समैन ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया. कैजुअल इंडियन ड्रेस देख सेल्समैन ने सोचा कि ये कोई साधारण शख्स होगा.

 

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इस बात से नाराज महाराजा ने रोल्स-रॉयस कार डीलरशिप के मैनेजर को बुलाया और अपनी पहचान बताई. इसके बाद महाराजा ने शोरूम में खड़ीं सभी 7 कारों को खरीदने का आर्डर देते हुए कहा कि इन कारों की डिलिवरी भारत आकर वही सेल्समैन करेगा, जिसने उन्हें शोरूम में अंदर घुसने से रोका था. हालांकि, सेल्समैन को अभी तक समझ नहीं आया था कि उसने क्या किया है. लेकिन, जब सेल्समैन राजस्थान के अलवर में महाराजा जय सिंह प्रभाकर के महल में कार डिलिवर करने पहुंचा तो वहां महाराजा को देख सन्न रह गया. इस दौरान महाराजा ने उस सेल्समैन को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया.

 

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महाराजा ने सेल्समैन के सामने ही अपने सहायकों को आदेश देते हुए कहा कि हर कार को नगर पालिका में कूड़ा इकट्ठा करने के लिए लगा दिया जाए. इसके बाद ये खबर पूरी दुनिया में फैल गई. इसके बाद रोल्स-रॉयस के ब्रांड और इमेज को तगड़ा झटका लगा. इस दौरान रोल्स-रॉयस कंपनी ने तुरंत महाराजा के महल में पत्र के जरिए एक माफीनामा भेजा और 7 रोल्स-रॉयस कारें मुफ्त में देने का ऑफर दिया. कंपनी द्वारा पत्र में कहा गया कि जो कुछ हुआ है, वैसा दोबारा कभी नहीं होगा. इसके बाद महाराजा ने वो कारें कूड़ा वाले काम से वापस हटवा लीं थी.

 

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वर्ष 2022 में हुई रिकॉर्ड बिक्री…

वहीं, अब रोल्स-रॉयस मोटर कार्स कंपनी ने अपने 118 वर्षों में पहली बार इतिहास रच दिया है. लग्जरी वाहन निर्माता के रूप में जानी जाने वाली रोल्स-रॉयस कंपनी ने बीते वर्ष 2022 में अपनी 6 हजार से ज्यादा कार बेचने का रिकॉर्ड बनाया है. दुनिया भर में भारी मांग होने की वजह से रोल्स-रॉयस ने 6,021 कारों की बिक्री की थी जोकि एक वर्ष में होने वाली सबसे अधिक बिक्री में से है. वहीं, रोल्स-रॉयस कंपनी ने वर्ष 2021 में 5,586 कारों की बिक्री की थी. कारों की बिक्री की तुलना में रोल्स-रॉयस ने प्रतिवर्ष 8% की सालाना वृद्धि देखी है. वर्ष 2022 में यह पर्सेंटेज बढ़कर रिकॉर्ड 6,021 कारों की हो गई.

 

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रोल्स-रॉयस कंपनी के मुताबिक, वर्ष 2022 में लगभग सभी क्षेत्रों में बिक्री वृद्धि हासिल हुई, विशेष रूप से मध्य पूर्व, एशिया-प्रशांत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में साल-दर-साल मजबूत वृद्धि देखी गई. हालांकि, कंपनी को इस बात की खुशी है कि ग्राहकों के बेस्पोक कमीशन का मूल्य पहले से कहीं अधिक था. रोल्स-रॉयस कंपनी के मुख्य कार्यकारी टॉर्स्टन मुलर-ओटवोस ने कहा ‘हम वैश्विक चुनौतियों और आर्थिक रूप से उतने अनुकूल नहीं हैं. हम आशा करते हैं कि वर्ष 2023 रोल्स-रॉयस के लिए एक मजबूत वर्ष होगा. 20वीं शताब्दी की शुरुआत में स्थापित प्रतीकात्मक ब्रिटिश कार ब्रांड वर्ष 1998 में जर्मन ऑटो विशाल बीएमडब्ल्यूका हिस्सा बन गया. रोल्स-रॉयस के वर्तमान पोर्टफोलियो में फैंटम , घोस्ट, रेथ, डॉन , साथ ही कलिनन एसयूवी जैसे मॉडल शामिल हैं, जोकि कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारें हैं.’

टॉर्स्टन मुलर-ओटवोस ने कहा ‘वर्ष 2022 में संयुक्त राज्य अमेरिका मार्के का सबसे बड़ा समग्र बाजार बना रहा, क्योंकि नई पीढ़ी के युवा अमेरिकी उद्यमी पहली बार रोल्स-रॉयस के लिए तैयार हुए थे. उसी समय, चीन विश्व स्तर पर अपना दूसरा सबसे बड़ा बाजार बना रहा. हालांकि, वर्ष 2021 के मुकाबले, कोरोना वायरस की चुनौतियों के कारण कुल बिक्री में एक अंक की गिरावट आई. इसकी तुलना में यूरोप में वर्ष 2022 में बिक्री नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया.’

 

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नई बुकिंग के संबंध में रोल्स-रॉयस कंपनी ने कहा ‘वर्ष 2023 तक के उसे पहले से ऑर्डर मिल चुके हैं. कंपनी की इलेक्ट्रिक रोल्स-रॉयस स्पेक्टर की प्री-ऑर्डर ने कंपनी की सबसे महत्वाकांक्षी अपेक्षाओं को पार कर लिया है और पहली ग्राहक डिलीवरी वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में होगी.’ बता दें भारत में भी बहुत सारी हस्तियां है, जो ऐसी लग्जरी कार के मालिक है. इसकी कारें अंबानी परिवार से लेकर अजय देवगन तक इस्तेमाल करते हैं. एक आम इंसान के लिए इसकी स्वारी करना आसान नहीं है.

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जानें रोल्स-रॉयस कंपनी के बारे में…

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BMW रोल्स-रॉयस मोटर कार्स कंपनी की स्थापना मार्च, 1904 में इंग्लैंड में हुई थी. लेकिन, वर्तमान की रोल्स-रॉयस मोटर्स की स्थापना वर्ष 1998 में हुई थी. रोल्स-रॉयस का मुख्यालय यूनाइटेड किंगडम में वेस्ट ससेक्स के गुडवुड में स्थित है. रोल्स-रॉयस की पहली कार का उद्घाटन वर्ष 2003 में हुआ था.

कौन हैं रोल्स-रॉयस कंपनी के मालिक…

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वर्ष 1904 में रोल्स-रॉयस कंपनी के मालिक चार्ल्स रोल्स और फ्रेडरिक हेनरी रॉयस हैं. इन दोनों ने इस कंपनी की स्थापना अपने सरनेम पर की थी. लेकिन, वर्तमान में रोल्स-रॉयस का मालिक दुनिया की जानीमानी बीएमडब्ल्यू कंपनी है. बीएमडब्ल्यू कंपनी ने वर्ष 1998 में रोल्स-रॉयस को खरीद लिया था. बीएमडब्ल्यू जर्मन की कंपनी है. इसका पूरा नाम बावेरियन मोटर वर्क्स है.

जानें रोल्स-रॉयस का इतिहास…

रोल्स-रॉयस कंपनी के पहले मालिक फ्रेडरिक हेनरी रॉयस का जन्म ब्रिटेन में हुआ था. शुरुआत में रॉयस ने अखबार बेचने का काम किया था. इसके बाद वो लाइट एंड पावर कंपनी जॉइन कर स्ट्रीटलाइट लगाने का काम करने लगे. वर्ष 1884 में उन्होंने एफएच रॉयस नाम से एक कंपनी खोली, जिसमें वो लाइट के छोटे मोटे समान बनाने लगे. समय के साथ वो जनरेटर और लाइट की क्रेन बनाने लगे थे, मगर बिजनेस ज्यादा न चलने की वजह से इसको बंद करना पड़ा. इसके बाद वर्ष 1900 में फ्रेडरिक हेनरी रॉयस ने कार बनाने का फैसला किया.

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वर्ष 1904 में उन्होंने एक कार लॉन्च की जो चार्ल्स रोल्स नाम के व्यक्ति को बहुत ज्यादा पसंद आई. इसके बाद फ्रेडरिक हेनरी रॉयस और चार्ल्स रोल्स ने मिलकर 23 दिसंबर, 1904 में बिजनेस पार्टनर बन गए और अपने सरनेम का इस्तेमाल कर रोल्स-रॉयस नाम की कंपनी खोल दी. इस दौरान, लोगों को इनकी कार बहुत पसंद आई. रोल्स-रॉयस को काफी फायदा भी होने लगा और दिन प्रतिदिन कंपनी नई ऊंचाईयां छूने लगी.

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इसके बाद वर्ष 1910 में हुई एक हवाई दुर्घटना में रोल्स-रॉयस कंपनी के एक पार्टनर चार्ल्स रोल्स की मृत्यु हो गई. जिसके बाद से पूरे बिजनेस का भार फ्रेडरिक हेनरी रॉयस के कंधे पर आ गया. वर्ष 1980 में ब्रिटिश डिफेंस कम्पनी विकर्स ने रोल्स-रॉयस कंपनी को खरीद लिया. 18 साल बाद वर्ष 1998 में वोक्सवैगन और बीएमडब्ल्यू में रोल्स-रॉयस कंपनी खरीदने को लेकर प्रतिस्पर्धा हुई.

 

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यह मामला काफी लंबा चलने के बाद अंत में वर्ष 2003 में रोल्स-रॉयस कंपनी की कंप्लीट ओनरशिप बीएमडब्ल्यू के पास आ गई. जिसके बाद से रोल्स-रॉयस कार्स बीएमडब्ल्यू के अधीन काम करने लगी. वर्ष 2003 में ही बीएमडब्ल्यू के अधीन पहली फैंटम कार 2003 लॉन्च हुई, जो नई जनरेशन की रोल्स-रॉयस लग्जरी कार थी. इस कार के फीचर सबसे अलग थे, जो लोगो बहुत पसंद आए. इस कार में 44 हजार कलर ऑप्शन मौजूद है. बता दें इस कार का कलर मशीनों से नहीं हाथ से किया गया था.

 

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वर्तमान में भारत में रोल्स-रॉयस के 5 मॉडल बिक्री के लिए उपलब्ध है. भारत में रोल्स-रॉयस कार की कीमत की बात करें तो इसकी शुरआती कीमत 6 करोड़ 22 लाख रुपये है, जोकि सबसे सस्ती कारों में है. वहीं, सबसे महंगी रोल्स-रॉयस कार की कीमत 10 करोड़ 48 लाख रुपये है, जिसमें कि फैंटम कार उपलब्ध हो जाती है.

भारत में रोल्स-रॉयस कार की एक्स-शोरूम कीमत…

1. रोल्स-रॉयस घोस्ट- 6.95 से 7.95 करोड़ रुपये तक

2. रोल्स-रॉयस फैंटम- 8.99 से 10.48 करोड़ रुपये तक

3. रोल्स-रॉयस कुलिनन- 6.95 करोड़ रुपये

4. रोल्स-रॉयस रोल्स रॉयस रेथ- 6.22 से 7.21 करोड़ रुपये तक

5. रोल्स-रॉयस रोल्स रॉयस डॉन- 7.06 से 7.64 करोड़ रुपये तक

रोल्स-रॉयस कार की कीमतों की ये जानकारी वर्ष 2022 में ‘कार देखो’ वेबसाइट से प्राप्त हैं. इन कारों की कीमतों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप रोल्स-रॉयस मोटर्स पर प्राप्त कर सकते हैं.

 

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